यह देश के इतिहास में पहली बार हुआ है जब देश के प्रधानमंत्री का कोई रास्ता रोक ले और उन्हें अपना कार्यक्रम रद्द कर वापस लौटना पड़े। कल प्रधानमंत्री मोदी के काफिले को पंजाब में जिस तरह रोका गया वह पीएम की सुरक्षा में एक गंभीर चूक का मामला है। भटिंडा से हुसैनीवाला जाते समय जिस तरह से एक फ्लाईओवर पर प्रधानमंत्री बीस मिनट तक फंसे रहे और फिर मजबूरन उन्हें अपनी फिरोजपुर रैली के कार्यक्रम को रद्द कर वापस लौटना पड़ा उस दौरान उनके साथ कोई भी अप्रिय और अनहोनी घटना हो सकती थी। यही कारण है कि इस घटना के बाद खुद पीएम मोदी को पंजाब के पुलिस अफसरों को यह कहना पड़ा कि शुक्रिया अपने सीएम को कहना मैं जिंदा वापस लौट आया। इस घटना को सही मायने में हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। यही कारण है कि इस मामले को लेकर गृह मंत्रालय की सख्त और तल्ख प्रक्रिया सामने आई है और शाह ने दोषियों को न बख्शे जाने की बात कही है तथा यह प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। जिस जगह यह घटना हुई वह पंजाब प्रांत आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र होने के साथ—साथ पाकिस्तान की सीमा से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर है। लिहाजा घटना का कारण चाहे जो भी रहा हो लेकिन इसके संभावित गंभीर परिणामों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यह ठीक है कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण धरने प्रदर्शन और प्रधानमंत्री से अपनी बात कहने का अधिकार सभी को है लेकिन उनका इस तरह रास्ता रोका जाना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। गृह मंत्रालय ने पंजाब की चन्नी सरकार से इस घटना पर जानकारी और रिपोर्ट मांगी गई है। सरकार अपने कुछ पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त या निलंबित कर मामले से पल्ला नहीं झाड़ सकती है क्योंकि पीएम की सुरक्षा का जिम्मा भी उस राज्य पुलिस का होता है जहां पीएम जाते हैं। रही बात किसान आंदोलन और कृषि कानूनों की तो जब केंद्र सरकार इन कानूनों को वापस ले चुकी है तो इस तरह पीएम के काफिले का रास्ता रोकने का क्या औचित्य हो सकता है इसके पीछे कहीं कोई बड़ा षड्यंत्र तो नहीं था? इसकी उच्च स्तरीय जांच जरूरी है। देश पहले भी सुरक्षा खामियों के कारण अपने एक प्रधानमंत्री और एक पूर्व प्रधानमंत्री को खो चुका है लिहाजा हमें इतिहास से सबक लेने की जरूरत है जिससे इस तरह की दुखद घटनाओं से फिर कभी दो—चार न होना पड़े। हां सबसे दुखद पहलू इस घटनाक्रम का यह है कि इस अति संवेदनशील वाक्ये पर राजनीति की जा रही है। भाजपा के नेता जिस तरह कांग्रेस पर उसके खूनी खेल में असफल होने का आरोप लगा रहे हैं वह भी ठीक नहीं कहा जा सकता है भले ही पंजाब में कांग्रेस की सरकार है तथा भाजपा और कांग्रेस राजनीति के अखाड़े में प्रतिद्वंदी हैं। लेकिन राजनीति और प्रधानमंत्री की सुरक्षा दोनों अलग—अलग मुद्दे हैं। देखना होगा कि इसकी जांच में क्या कुछ निकल कर सामने आता है? लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए सच सामने आएगा।