देहरादून। उत्तराखंड के नेता जिनका नारा भले ही बातें कम और काम ज्यादा का रहा हो लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट है वह सिर्फ बातें और वायदे ही करते हैं काम बिल्कुल भी नहीं। इसका उदाहरण है पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की वह घोषणा जिसमें उन्होंने 4 साल पहले टिहरी झील और राज्य की नदियों में सी प्लेन उतारने की बात कही थी।
पर्यटन मंत्री की इस घोषणा पर आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उस समय लाजवाब होना पड़ा जब एक पत्रकार ने उनसे पूछ लिया कि सीएम साहब टिहरी झील में सी—प्लेन कब उतरेगा? हो सकता है कि सीएम साहब को यह भी पता न हो कि इस तरह की घोषणा भी कभी उनके पर्यटन मंत्री ने की होगी। ऐसे में उनका असहज होना स्वाभाविक था। जब कोई जवाब नहीं सूझा तो वह बस यह कह कर आगे बढ़ गए कि पर्यटन के विकास का काम आगे बढ़ रहा है।
आज राज्य भ्रमण पर निकले सीएम पुष्कर धामी को इस सवाल का सामना उस समय करना पड़ा जब वह टिहरी झील में वोटिंग करने पहुंचे थे। सवाल यह है कि राज्य के मंत्री ऐसी घोषणाएं करते ही क्यों हैं? जिन्हें पूरा नहीं किया जा सकता। पर्यटन मंत्री कभी राज्य को विश्व की धार्मिक राजधानी बनाने की बात करते हैं। तो कभी पुरानी टिहरी के जो अब पानी में डूब चुकी है पर्यटकों को पनडुब्बी से दर्शन कराएंगे। कभी टिहरी झील और राज्य की नदियों में सी प्लेन उतारेंगे तथा राज्य के सभी 13 जिलों में 13 टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित कराने की बात कहेंगे।
बड़े—बड़े सपने देखना अच्छा है उनकी बात भी करना अच्छा है लेकिन यह सब तभी अच्छा हो सकता है जब धरातल पर भी अच्छा कुछ दिखाई दे। राज्य गठन से लेकर अब तक की सभी सरकारें राज्य को पर्यटन प्रदेश, ऊर्जा प्रदेश, धार्मिक राजधानी और न जाने क्या—क्या बनाने की बातें करती रही हैं। लेकिन 20 साल में राज्य क्या बन सका? यह सवाल पूछने वालों को देने के लिए आज भी कोई जवाब नहीं है।