जोशीमठ आपदा प्रभावितों की मदद तथा जोशीमठ के अस्तित्व को बचाने के लिए 1854 करोड रुपए की आर्थिक सहायता केंद्र सरकार द्वारा दी जाएगी यह खबर आपदा प्रभावितों के लिए अत्यंत ही राहत देय खबर है। केंद्र सरकार द्वारा किए गए इस आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि इस आपदा के कारण बेघर बार हुए लोगों को फिर से अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने का अवसर मिल सकेगा। खास बात यह है कि राज्य सरकार द्वारा पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट से तैयार कराई गई रिपोर्ट के आधार पर 1845 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता का प्रस्ताव भेजा गया जिसे एमडीएम के बाद गृह मंत्रालय द्वारा अपनी स्वीकृति दे दी है और इसमें कोई कटौती नहीं की गई है। इस राशि में 91 करोड रुपए पुनर्वास के लिए भूमि अधिग्रहण पर खर्च किए जाएंगे जबकि शेष बची राशि 1754 का 10 फीसदी यानी 287 करोड़ राज्य सरकार खर्च करेगी। एक साल पूर्व भू धसांव की जद में आए बद्रीनाथ धाम के मुख्य पड़ाव जोशीमठ का बड़ा हिस्सा अप्रत्याशित रूप से दरकने लगा था। भवनाें से लेकर सड़क और जमीन में मोटी—मोटी दरारें आने से हड़कंप मच गया था हालात इस कदर खराब हो गए थे कि एक बड़े आवासीय क्षेत्र को खाली करना पड़ा था जिससे हजारों की संख्या में लोगों को घर छोड़ने पड़े और वह सड़कों पर आ गये। राज्य और केंद्र सरकार द्वारा इन्हें राहत शिविरों में शरण तो दी गई लेकिन सवाल यह था कि आखिर कितने समय तक इन्हें राहत शिविरों में रखा जा सकता है। एक ऐतिहासिक शहर जोशीमठ का अस्तित्व जब खतरे में पड़ गया तो आनन—फानन में स्थिति की समीक्षा और जांच के लिए कई एजेंसियां और संस्थाओं को सर्वे के लिए उतारना पड़ा। कई बहू मंजिला इमारतों को गिराए जाने का फैसला लेने के साथ—साथ संवेदनशील क्षेत्रों से लोगों को हटाने का काम किया गया अभी बीते दिनों जिन एजेंसियों और संस्थाओं द्वारा सर्वे का काम किया गया था उनकी सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया था जिसमें एनटीपीसी के पावर प्लांट जिसकी लंबी सुरंग के कारण को इस भू धसांव से जोड़ा जा रहा था उसे क्लीन चिट दे दी गई तथा निष्कर्ष निकाला गया था कि अनियोजित विकास और अत्यधिक निर्माण कार्यों के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। भू वैज्ञानिकों का कहना है कि जोशीमठ की मिटृी की वहनीय क्षमता से अधिक निर्माण किए जाने व जल निकासी की उचित व्यवस्था न होने तथा प्राकृतिक जल स्रोतों के स्वरूप में किए गए बदलावों के कारण यह भू धसांव हुआ है। इस रिपोर्ट के बाद शहर को कई जोन में बांटा गया है जो अति संवेदनशील क्षेत्र है उन्हें रेड जोन में रखा गया है तथा वहंा फिलहाल निर्माण कार्यों पर भी पाबंदी लगा दी गई है। यही नहीं रेड जोन वाली इमारतों और भवनो को ध्वस्त करने की बात भी कही गई है। अब केंद्र सरकार से जो 1845 करोड़ की आर्थिक सहायता दी गई है उसे जोशीमठ के संरक्षण के लिए जरूरी ट्रीटमेंट प्लांन और आपदा प्रभावितों के पुनर्वास का काम किया जाएगा। मुख्य सचिव एसएस संधू का कहना है कि उन्हें उम्मीद है जल्द ही केंद्र से उन्हें इस सहायता की पहली किस्त मिल जाएगी और जल्द काम शुरू हो जाएगा। सरकार द्वारा पुनर्वास के लिए गोचर में पहले ही जमीन तलाश की जा चुकी है लेकिन पुनर्वास का यह काम न तो बहुत आसान है न बहुत जल्द पूरा किया जा सकता है एक अन्य बड़ी बात यह है कि यह समस्या सिर्फ जोशीमठ शहर तक सीमित नहीं है आसपास के कुछ गांवों में इसी तरह के भू धसावों की समस्या सामने आई है सरकार इन गांवों के लिए क्या करेगी? यह बड़ा सवाल है हां जोशीमठ के आपका प्रभावितों को इस आर्थिक पैकेज से राहत जरूर मिल सकेगी।