बीते कल कैबिनेट की बैठक में यूं तो धामी सरकार ने कई अहम फैसले किए हैं लेकिन इन तमाम फैसलों में सबसे अधिक अहम और महत्वपूर्ण फैसला है राज्य के औघोगिक विकास के लिए निवेश को आकर्षित करने को नई एमएसएमई नीति को मंजूरी दिया जाना। राज्य गठन से लेकर अब तक सूबे की सरकारों ने भले ही पहाड़ में उघोगों को पहुंचाने की तमाम बातें की हो लेकिन सच यह है कि इस मुद्दे पर ना तो कोई गंभीर प्रयास किए गए और जो किए भी गए वह बहुत अधिक सार्थक साबित नहीं हुए। एकमात्र स्वर्गीय एनडी तिवारी सरकार के कार्यकाल में राज्य में ठीक—ठाक औघोगिक निवेश हुआ लेकिन उसका पूरा लाभ राज्य को नहीं मिल सका कुछ सरकारों के उदासीन रवैया के कारण तो कुछ सब्सिडी जारी रहने और उसका लाभ उठाने तक तो जमे रहे और फिर अपना बोरिया बिस्तर समेट कर भाग गए। धामी सरकार द्वारा अब एक बार फिर निवेश को आकर्षित करने के लिए नई औघोगिक नीति लाई गई है आने वाले लोकसभा चुनाव से ऐन पूर्व राज्य सरकार सूबे में बड़ा इन्वेस्टर्स समिट आयोजित करने जा रहा है। सरकार द्वारा युद्ध स्तर पर इस इन्वेस्टर्स समिट को सफल बनाने की तैयारियां की जा रही है। स्पष्ट है कि इससे पहले उत्तराखंड सरकार को औघोगिक विकास की नीतियों का खाका तैयार करना जरूरी था। कल कैबिनेट की बैठक में लिए गए तमाम फैसले इस कड़ी में उठाए जाने वाला पहला कदम है। जिसमें सरकार ने पहाड़ में उघोग लगाने वालों को 4 करोड तक सब्सिडी और अन्य सुविधाएं देने का फैसला लिया गया है। इसके लिए सरकार ने अति दुर्गम क्षेत्रों में औघोगिक निवेश करने वालों को सबसे अधिक और दुर्गम क्षेत्र के निवेशको को उससे कम तथा शुगम क्षेत्र के निवेशकों को उससे भी कम तथा मैदानी क्षेत्रों के लिए सबसे कम सब्सिडी देने की नीति बनाई है इस नीति से यह साफ है कि सरकार की मंशा है कि अधिक से अधिक औघोगिक निवेश पहाड़ पर हो। सूबे के मैदानी और सुगम क्षेत्र तक सीमित औघोगिक विकास को पहाड़ तक पहुंचाया जा सके। एक और खास बात यह है कि सरकार ने इस नीति वानिकी और फूड प्रोसेसिंग उघोगों को 10 फीसदी अतिरिक्त सब्सिडी देने की व्यवस्था भी की है जिसका उद्देश्य राज्य के उत्पादों को उचित बाजार उपलब्ध कराना है। पहाड़ के फल और सब्जियों तथा अन्य उत्पाद जो बाजार तक नहीं पहुंच पाते और पहाड़ पर ही सड़ जाते हैं अगर पहाड़ पर उनके खरीदार मिल सकेंगे तो स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति में यह सुधार का एक बेहतर जरिया बन सकेगा। सरकार द्वारा कल कैबिनेट की बैठक में लिए गए निर्णयों से सरकार ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं पहला है राज्य का औघोगिक विकास और पहाड़ों पर उघोगों को पहुंचाना जबकि दूसरा है 2024 के चुनाव के लिए अपने खाते में एक और उपलब्धि को जोड़ना। देखना यह है कि आगामी दिसंबर में होने वाली इन्वेस्टर्स समिट में पहाड़ को कितना निवेश मिलता है और इस निवेश से पहाड़ में रोजगार व स्वरोजगार के कितने अवसर बढ़ते हैं। बीते 10—15 साल में राज्य के इंफ्रास्ट्रेक्चर विकास अगर आशातीत सुधार हुआ होता तो पहाड़ को इसका और भी अधिक फायदा हो सकता था।