चमोली में कल हुए दर्दनाक हादसे ने 16 लोगों की जिंदगी छीन ली और दर्जनभर घायल लोगों में से अभी भी कई ऐसे हैं जिनकी जिंदगी दांव पर लगी हुई है, नमामि गंगे परियोजना के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में बिजली का करंट दौड़ने से पेश आए इस हादसे के अब मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दे दिए गए हैं जिससे इस हादसे के सही कारणों का पता चल सके। वही उन तमाम पीड़ित परिवारों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए सरकार ने मुआवजे की घोषणा भी कर दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि यह हादसा अत्यंत दुखद है तथा जिसकी भी लापरवाही से लोगों की जान गई है दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस हादसे में जिनके परिवार उजड़े हैं उनके दर्द को सिर्फ वह खुद ही जान सकते हैं। हरमनी गांव में इस घटना के बाद मातम पसरा हुआ है क्योंकि इस गांव के 10 लोग इस हादसे में मारे गए हैं। इस हादसे का पहला शिकार बनने वाला चौकीदार गणेश लाल भी इसी गांव का था। इस घटना का सबसे अहम पहलू यह है कि चौकीदार गणेश लाल के ड्यूटी से घर न पहुंचने पर जब गांव के लोग उसकी तलाश में प्लांट पहुंचे और उसे मृत पड़ा देखकर पुलिस को इसकी सूचना दी गई तो क्या किसी को इस बात का पता नहीं था कि उसकी मौत बिजली के करंट लगने से हुई है और अगर पता था तो प्लांट की बिजली क्यों नहीं काटी गई। आमतौर पर अगर विघुत करंट के कारण कोई हादसा होता है तो क्षेत्र की बिजली सप्लाई काट दी जाती है और उसे पुनः तभी संचालित किया जाता है जब यह सुनिश्चित कर लिया जाता है कहीं किसी तरह का फाल्ट तो नहीं है। बिजली का करंट कैसे प्लांट में फैला? सिर्फ यही सवाल नहीं सवाल यह भी है कि एक बार करंट फैलने और एक मौत के बाद बिजली आपूर्ति कैसे ठप हुई और फिर दोबारा कैसे संचालित हुई। इस पूरे मामले में कहीं न कहीं एक बड़ी मानवीय चूक का अंदेशा है। लेकिन जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी की आखिर किसकी गलती के कारण 16 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इस हादसे के समय जब कुछ पुलिसकर्मी भी वहां मौजूद थे तो यह नहीं माना जा सकता है कि उन्होंने पहले यह जानने की कोशिश न की हो कि चौकीदार की मौत किस तरह हुई है। आमतौर पर मानसूनी सीजन में सीलन के कारण लोहे के उपकरणों में ही नहीं दीवारों और फर्श तक में करंट प्रवाहित हो जाता है लेकिन बिजली के करंट से इतनी बड़ी संख्या में लोगों का मारा जाना अत्यंत ही दुखद है। लेकिन हादसों पर किसी का कोई वश नहीं चलता है। चौकीदार गणेश की मौत पर जमा उसके परिजनों और गांव वालों ने कदाचित भी यह नहीं सोचा होगा कि उनके साथ भी वैसा ही हादसा होने वाला है जैसा गणेश के साथ हुआ। इस घटना में एक दर्जन भर लोग घायल हैं जिनमें से 6 की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें ऋषिकेश एम्स लाया गया है। घायलों को बेहतर इलाज मिल सके और वह ठीक हो कर घर लौट सके इसकी व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए। इस घटना से एक बार फिर पहाड़ की स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठ रहे हैं कि पहाड़ के अस्पतालों में एक बर्न वार्ड तक नहीं है जहां इस तरह के घायलों को इलाज मिल सके। पहाड़ों पर जब आए दिन किसी न किसी तरह के बड़े हादसे होते रहते हैं तो सरकार को पहाड़ों की स्वास्थ्य सेवाओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है।