उत्तराखंड की चार धाम यात्रा को शुरू हुए अभी महज 15—16 दिन का समय ही हुआ है। लेकिन चार धाम की यात्रा व्यवस्थाओं पर तमाम तरह के सवाल उठने लगे हैं। भले ही सत्ता में बैठे जिम्मेदार कुछ भी कहें लेकिन यात्रा पर आए श्रद्धालुओं के द्वारा मीडिया के सामने जिस तरह से अपनी आपबीती सुनाई जा रही है वह यह बताने के लिए काफी है कि यात्रा व्यवस्थाओं में कहीं न कहीं कुछ तो खामियां है ही। बीते साल चार धाम यात्रा के दौरान बड़े पैमाने पर घोड़े खच्चरों की मौत का मामला सुर्खियों में रहा जिसे लेकर इस साल काबीना मंत्री सौरभ बहुगुणा द्वारा स्थिति में सुधार करने की बात कही गई थी। इन पशुओं के लिए सेंटर होम बनाए जाने तथा उनके खाने दाने की समुचित व्यवस्था के साथ उनके इलाज की सुविधा का भी दावा किया गया था। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से अब तक 30 से अधिक घोड़े—खच्चरों और 50 से अधिक यात्रियों की मौत की पुष्टि की जा चुकी है। सवाल यह है कि अगर इसी औसत से चार धाम यात्रियों व घोड़े खच्चरों की मौत होती रही तो यह आंकड़ा कहां तक पहुंचेगा? इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। बीते साल जब यात्रा आधे समय में पहुंची थी तब चार धाम यात्रा मार्गों पर गंदगी और दुर्गंध का मुद्दा खबरों की सुर्खियों में आया था। मृत घोड़े खच्चरों के जो शव खींच कर पैदल मार्ग के आसपास ही छोड़ दिए गए जब वह सड़ने शुरू हुए तो पूरा क्षेत्र दुर्गंध से भर गया था वहां यात्रियों द्वारा पैदल मार्ग में इतना कूड़ा करकट डाल दिया गया था कि इस पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यात्रियों से अपील करनी पड़ी थी कि वह अपने साथ ले जाने वाले वेस्ट को उचित स्थान पर निष्पादित करें और तीर्थ स्थलों को गंदा न करें इसके बाद यात्रियों के साथ—साथ कुछ सामाजिक संगठन व पर्यावरण रक्षक दल इस गंदगी को साफ करते दिखे थे। इस बार भी चार धाम यात्रा मार्गों पर कुछ वैसे ही हालात दिखाई दे रहे हैं। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने अब चार धाम जाने वाले यात्रियों पर अपने साथ सिंगल यूज प्लास्टिक बैग पर रोक लगा दी गई है इसकी निगरानी के लिए विशेष टीम का गठन भी किया गया है। बात यहीं तक नहीं है धामों में रहने खाने की व्यवस्था से लेकर दर्शनों के लिए भारी भीड़ का लाइनों में खड़े होने और कई कई घंटों के इंतजार से लेकर अन्य कई तरह की समस्याएं श्रद्धालुओं द्वारा बताई जा रही हैं कई श्रद्धालुओं ने यहां तक कहा है कि हेली टिकटों से लेकर टैंट और खाने पीने का सामान सब कुछ ब्लैक में मिल रहा है यात्रा की अव्यवस्थाओं पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज कहते हैं कि मौसम खराब है तो इसमें वह क्या कर सकते हैं। मुख्यमंत्री धामी कहते हैं कि हमारी व्यवस्थाएं ही हमारा ब्रांड एंबेसडर है। सवाल यह है कि खराब मौसम के बीच आधी अधूरी तैयारियों के बीच शुरू हुई चार धाम यात्रा की व्यवस्थाओं और खामियों के कारण यात्री कब तक परेशानियंा झेलते रहेंगे और इन्हें कैसे सुधारा जा सकता है।