उत्तराखंड सरकार ने कावड़ यात्रा को रोकने का जो फैसला लिया है वह सही समय पर लिया गया एक सही फैसला है। इस समय कोरोना की तीसरी लहर और कोरोना के नए वैरीयंट डेल्टा प्लस को लेकर जो खबरें आ रही हैं उसके मद्देनजर जरूरी है कि हर एक स्तर पर सतर्कता बरती जाए। जो गलती एक बार महाकुंभ के आयोजन के दौरान की गई उसको फिर से दोहराया नहीं जाना चाहिए था। हालांकि उस समय भी पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र कुंभ मेले के आयोजन पर सहमत नहीं थे। लेकिन साधु—संतों के दबाव और हिंदू मतदाताओं की धार्मिक भावनाओं के तुष्टीकरण के लालच में कुंभ को भव्य दिव्य बनाने के जो प्रयास किए गए उनके दुष्परिणामों की देश और प्रदेश को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। त्रिवेंद्र सिंह को भी अपनी कुर्सी गंवा कर इसकी कीमत चुकानी पड़ी थी। तीरथ सिंह रावत ने भले ही कुंभ को दिव्य भव्य बनाने में कोई कमी नहीं रखी लेकिन स्थिति बिगड़ने पर केंद्रीय नेतृत्व के इशारे पर कुंभ को सांकेतिक समापन पर मजबूर होना पड़ा। सीएम धामी ने लंबे विचार—विमर्श के बाद कावड़ यात्रा पर निर्णय लिया केंद्रीय नेतृत्व की भी राय ली गई लेकिन उन्होंने एक सही फैसला लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार भले ही अपनी दबंगई में कावड़ यात्रा शुरू करने पर अड़ी हुई हो लेकिन उसका यह फैसला सही नहीं है खास बात यह है कि अब देश की सर्वाेच्च अदालत ने यूपी सरकार के फैसले पर असहमति जताते हुए योगी सरकार से जवाब तलब किया है। सवाल यह है कि जब आम आदमी को और न्यायपालिका को जो काम गलत लग रहा है उसको यूपी या हरियाणा सरकार द्वारा क्यों किया जा रहा है। आस्था की आड़ में हिंदू वोट बैंक की राजनीति को अगर ठीक भी मान लिया जाए तब भी क्या यह आस्था और राजनीति आम आदमी की जान की सुरक्षा से ज्यादा जरूरी है। बीते साल काविड के कारण न चार धाम यात्रा हो सकी थी न कावड़ यात्रा तथा इससे क्या प्रभाव पड़ा। अगर इस साल भी कावड़ यात्रा नहीं होगी तब ऐसी कौन सी मुसीबत आ जाएगी। उत्तराखंड सरकार द्वारा भले ही अपने राज्य में कावड़ यात्रा पर रोक लगा दी गई हो लेकिन सरकार की कावड़ यात्रा को लेकर मुश्किलें कम नहीं हुई है। यूपी और हरियाणा अगर कावड़ यात्रा पर रोक नहीं लगाते हैं तो करोड़ों कावड़िए गंगाजल लेने के लिए हरिद्वार ऋषिकेश से लेकर गंगोत्री तक आएंगे जिन्हें अपने राज्य की सीमाओं में प्रवेश करने से रोकने की बड़ी चुनौती होगी। इसकी अत्यधिक संख्या के कारण इन्हें बलपूर्वक रोक पाना संभव नहीं है तथा इन पर बल प्रयोग भी नहीं किया जा सकता। अगर सुप्रीम कोर्ट द्वारा यूपी व हरियाणा में कावड़ यात्रा पर रोक लगा दी जाती है तभी यह संभव होगा कि कावड़ यात्रा उत्तराखंड सरकार व प्रशासन के लिए कोई सर दर्द न बने और कोविड से बचाव में सहायता मिल सके