April 20, 2024भाजपा का वोट 10—12 फीसदी तक घटाः हरीश देहरादून। मतदान संपन्न हो चुका है हार जीत किसकी होगी यह अलग बात है, लेकिन मतदान शांतिपूर्ण रहा यह शासन—प्रशासन के लिए सुकून की बात है। हां मतदान के कम होने का मुद्दा अब जरूर चर्चाओं के केंद्र में है। जिसे लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि कम मतदान का कोई असर नहीं होगा भाजपा पांचो लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करेगी। वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि 2014 व 19 के मुकाबले भाजपा का वोट 10 से 12 फीसदी घटा है। उनका दावा है कि जहां भाजपा का वोट 10 से 12 फीसदी कम हुआ है वहीं कांग्रेस के वोट प्रतिशत में चार से पांच फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।चुनाव के बाद आज दून लौटे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से जब राज्य में हुए कम मतदान के विषय में पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि कम मतदान का भाजपा की जीत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मतदान का प्रतिशत ठीक—ठाक ही है जो थोड़ा बहुत कम रहा है उसके कुछ कारण हो सकते हैं। जैसे फसल की कटाई का समय होने के कारण लोगों की व्यस्तता या फिर विवाह समारोह में लोगों की व्यस्तता के कारण वोट न डाल पाना। उनसे जब यह पूछा गया कि क्या भाजपा के कार्यकर्ता वोटरों को बूथ तक नहीं ला सके तो उन्होंने कहा कि यह दूसरे दलों की चुनाव को लेकर रही उदासीनता है जो भी वोटर बूथ तक पहुंचे हैं उन्हें लाने का काम सिर्फ भाजपा ने ही किया है किसी भी दूसरे दल ने तो इस तरफ न ध्यान दिया न कोई प्रयास किया उन्होंने कहा कि भाजपा की सभी पांचो सीटों पर जीत सुनिश्चित है इसमें कोई संदेह की बात नहीं है।वहीं राज्य में हुए कम मतदान को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से जब पूछा गया तो उन्होने कहा कि भाजपा सरकार की नीतियों को लेकर जनता के मन में उदासीनता का भाव है जिसके कारण इस बार भाजपा का वोटर कम संख्या में मतदान के लिए बाहर निकला है। वह मानते हैं कि भाजपा को इस बार 10 से 12 फीसदी कम वोट मिलेंगे। वही वह कहते हैं कि कांग्रेस के मतदान प्रतिशत में चार से पांच फीसदी तक की वृद्धि हुई है दोनों को मिलाकर देखा जाए तो यह 15 से 16 फीसदी तक का फर्क आएगा और यही कांग्रेस की जीत का कारण बनेगा।
April 20, 2024नैनीताल। बंद घरों में हुई चोरियों का खुलासा करते हुए पुलिस ने एक दम्पत्ति को गिरफ्तार कर लिया है। जिनसे चुराया गया सारा माल भी बरामद किया गया है।घटना की जानकारी देते हुए सीओ संगीता ने बताया कि हल्दूचौड़ निवासी हेमचंद्र जोशी ने 4 मार्च और चंदन सिंह बिष्ट ने 18 अप्रैल को लालकुआं कोतवाली में तहरीर देते हुए बताया था कि उनके घरों में गहने सहित कई सामानों की चोरी हुई है। जिनके खुलासे के लिए पुलिस टीम का गठन किया गया जिसका नेतृत्व हल्दूचौड़ चौकी इंचार्ज गौरव जोशी ने किया। पुलिस के अथक प्रयासों के बाद बीते रोज सूचना मिली कि बेरीपड़ाव स्थित महालक्ष्मी मंदिर के पास एक दंपति लोगों को बिना बिल के सोने के लॉकेट बेच रहा है हो सकता है हल्दूचौड़ क्षेत्र में हुई चोरियों में यह लोग शामिल हो सकते हैं। जिसके बाद पुलिस ने महालक्ष्मी मंदिर के पास से पूर्वी दिल्ली के निवासी मुनेंद्र सिंह उर्फ निक्कू और उसकी पत्नी अनुष्का को पकड़ लिया और सख्ती से पूछताछ की जिसके बाद दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। मुनेन्द्र अपनी पत्नी के साथ हल्दूचौड़ के गोपीपुरम स्थित एक मकान में किराए पर रहता था और उसने पंचायत घर के पास कपड़े की अस्थाई दुकान लगाई थी। दोनों पति—पत्नी फेरी करने के बहाने आसपास के घरों की रेकी भी करते थे और जिन घरों में ताले लगे दिखते थे उन्हें रात्रि में अपने पास रखे औजारों के माध्यम से तोड़कर घर में घुस जाते थे घटना के दौरान मुनेन्द्र की पत्नी बाहर निगरानी करती थी जबकि वह खुद घर में घुसकर चोरी की घटना को अंजाम देता था। पुलिस ने दोनों के पास से चोरी में प्रयुक्त सामान सहित चोरी किए गए सामान को बरामद किया है जिसमें एक लैपटॉप भी शामिल है।
April 20, 2024देहरादून। 10 मई से शुरू होने वाली चारधाम यात्रा के लिए बीते पांच दिनों में पंजीकरण का आंकड़ा 10.66 लाख पहुंच गया है। जिसमें केदारनाथ धाम के लिए सबसे अधिक 3.52 लाख तीर्थयात्री पंजीकरण करा चुके हैं।पर्यटन विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार 19 अप्रैल यानि बीती शाम छह बजे तक चारधाम यात्रा के लिए तीर्थयात्री 10.66 लाख से अधिक पंजीकरण करा चुके है। बता दें कि इस बार भी यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखा जा रहा है। पिछले साल पूरे चारधाम यात्रा में 73 लाख श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया था। इसमें 56 लाख तीर्थयात्रियों ने ही केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के दर्शन किए थे। इस बाद 10 मई को चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। इस बार गंगोत्री, यमुनोत्री व केदारनाथ धाम के कपाट एक ही दिन खुल रहे हैं। जबकि 12 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे। मात्र पांच दिनों में ही चारधाम यात्रा के लिए 10 लाख से अधिक पंजीकरण कराना यह बताता है कि इस बाद भी चारधाम यात्रा पर रिकार्डतोड़ यात्रियों का आना तय है।
April 20, 20245 से 6 फीसदी कम मतदान का किसे मिलेगा लाभ 1 लाख 80 हजार युवा मतदाता बढ़े फिर भी कम मतदान शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में हुआ अच्छा मतदान देहरादून। उत्तराखंड की सभी पांच लोकसभा सीटों के लिए कल मतदान संपन्न हो चुका है। 2014 और 2019 की तुलना में 2024 के इस चुनाव में 5 से 6 फीसदी तक मतदान कम रहा है। इस कम मतदान का किसे फायदा होगा और किसे कितना नुकसान होने वाला है इसे लेकर तमाम तरह की चर्चाएं जारी है लेकिन भाजपा व कांग्रेस के द्वारा इस कम मतदान को लेकर अपने—अपने फायदे के दावे किए जा रहे हैं परंतु बेचैनी नेताओं के चेहरे पर साफ झलक रही है।राजनीतिक दलों और प्रशासन द्वारा मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए तमाम कोशिशें की गई मगर यह कोशिशे धरी की धरी रह गई। 2014 के लोकसभा चुनाव में मतदान 62.15 फीसदी रहा था तथा 2019 में मतदान का प्रतिशत 61.50 रहा था जिसमें कोई बहुत बड़ा अंतर नहीं था लेकिन 2024 के वर्तमान चुनाव में यह मतदान 56 फीसदी तक भी नहीं पहुंच सका जो पिछले चुनावों की तुलना में 5 से 6 फीसदी तक कम है। 56 फीसदी कम मतदान निश्चित रूप से कोई कम चिंता का बात नहीं है। अगर यह मतदाताओं की संख्या के हिसाब से देखा जाए तो यह संख्या 3 लाख के आसपास मानी जा सकती है। इतनी बड़ी संख्या में जो लोग वोट डालने नहीं पहुंचे वह किस पार्टी के वोटर रहे होंगे और इसका पार्टी को कितना नुकसान होगा और दूसरी पार्टी को इसका कितना फायदा होगा इसका चुनाव परिणाम पर गंभीर असर देखने को मिल सकता है।अभी सभी दल खास तौर से भाजपा और कांग्रेस इसकी समीक्षा करने में जुटे हुए हैं कि क्या कारण रहा इस बार मतदाताओं की इस उदासीनता का। अगर यह सत्ता से निराशा के कारण हुआ है तो इसका भाजपा को नुकसान होने की संभावना है। भाजपा की रैलियां में हमने जिस तरह की भीड़ उमड़ती देखी थी वह क्या था? क्या एक बूथ 10 यूथ वाली भाजपा अपने वोटरों को बूथ तक नहीं ला सकी। ऐसे तमाम सवाल उमड़—घुमड़ रहे हैं। एक महत्वपूर्ण तथ्य जो सामने आया है वह यह है कि मतदान को लेकर शहरी मतदाता ही उदासीन रहे हैं ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान औसतन अच्छा रहा है। इस बार 1 लाख 80 हजार नए वोटर सूची में शामिल हुए थे इसके बाद भी मतदान प्रतिशत में आई, इस कमी ने नेताओं को परेशान कर दिया है। इसका कितना नफा नुकसान होता है और किसे होता है इसका सही जवाब 4 जून की मतगणना के बाद ही मिल सकेगा।
April 20, 2024मतदान जागरूकता कार्यक्रम भी नहीं डाल पाया मतदाताओं पर असर देहरादून। निर्वाचन आयोग के 75 प्रतिशत मतदान की मुहिम को मतदाताओं ने करारा झटका दिया और फाइनल आंकड़े आने तक उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों पर बामुश्किल 56 प्रतिशत मतदान की खबर है। जबकि प्रदेश में मतदाताओं की संख्या कुल 83 लाख बतायी जा रही है। मतदान प्रतिशत कम होने की खास वजह में सरकारी मशीनरी की सामान्य परफॉर्मेंस के अलावा वोट बहिष्कार और विवाह का साया भी एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।बता दें कि 2019 में उत्तराखंड में 61.30 व 2014 में 61.67 प्रतिशत मतदान हुआ था और भाजपा पांचों लोकसभा सीट जीत गयी थी। जबकि 2009 में 53.43 प्रतिशत मतदान हुआ था। कांग्रेस ने पांचों सीट जीत ली थी। 2004 में 48.07 प्रतिशत मतदान हुआ था। जिसमें तीन सीट भाजपा ने जबकि कांग्रेस व सपा ने एक—एक सीट जीती थी। इस बार लगभग 6 प्रतिशत मतदान कम होने की खास वजहों में सरकारी मशीनरी की सामान्य परफॉर्मेंस के अलावा वोट बहिष्कार और विवाह का साया भी एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।विदित हो कि मतदान से कुछ दिन पूर्व ही यमकेश्वर, चकराता, चमोली के कुछ इलाकों के हजारों मतदाता अपनी मांगों के समर्थन में मतदान का बहिष्कार करते नजर आए थे। हालांकि,प्रशासन ने इन्हें मनाने की कोशिश की। लेकिन बात नहीं बनी। वहीं सरकारी मशीनरी का मतदान के पक्ष में माहौल बनाने के लिए सोशल मीडिया का समुचित उपयोग नहीं किया गया। मतदाता जागरूकता अभियान को गति देने के लिए विभिन्न सेक्टर का उपयोग भी बड़े पैमाने पर नहीं हो पाया। प्रचार—प्रसार के लिए उम्दा रणनीति का अभाव भी झलका। वहीं भाजपा के स्टार प्रचारकों के प्रदेश में कई सभाएं करने के बाद भो शहरी इलाकों में 2019 की तुलना में कम मतदाता बाहर निकले। चूंकि,इस चुनाव में 2019 की तरह मोदी लहर भी नजर नहीं आयी। ऐसे में मतदाता भी आराम की मुद्रा में नजर आया।हालांकि राजनीति के जानकार गर्मी को भी कम मतदान की एक अन्य वजह बता रहे हैं। लेकिन ठंडे मौसम वाले पहाड़ी इलाकों के बजाय हरिद्वार व उधमसिंहनगर के गर्म मैदानी इलाकों में ज्यादा मतदान हुआ है।मतदान कम होने की एक वजह शादी सामारोह के जबरदस्त साये होना भी माना जा रहा है। जिसमें बारातियों और घरातियों को अफसोस है कि वह लोग वोट नहीं डाल पाये। इन सभी लोगों की शिकायत है कि चुनाव आयोग को शादी के बड़े साए को तो ध्यान में रखना चाहिए था। ताकि शादी में व्यस्त सैकड़ों परिवार लोकतंत्र के इस सबसे बड़े पर्व में अपनी हिस्सेदारी निभा पाते।
April 20, 2024लोकसभा चुनाव के पहले दौर का मतदान संपन्न हो चुका है। सुबह जब मतदान शुरू हुआ तो मतदान केंद्रो पर लंबी—लंबी लाइनों को देखकर लग रहा था कि इस बार रिकार्ड मतदान होगा लेकिन दोपहर होते—होते इन संभावनाओं ने दम तोड़ दिया। शाम ढलने के बाद जब चुनाव आयोग के आंकड़े आए तो पता चला कि मतदान में ऑल ओवर 8 से 10 फीसदी की गिरावट रही। बात अगर उत्तराखंड की की जाए तो यहां दोपहर तक लगभग 38 फीसदी मतदान हो चुका था लेकिन मतदान समाप्त होने तक यह 56 फीसदी से नीचे ही रह गया। इसका क्या कारण रहा इस पर अब माथा पच्ची की जा रही है। शादी समारोहों के होने से लेकर आम आदमी का राजनीति से मोह भंग तक की बातों पर चर्चा जारी है। ऑल ओवर मतदान प्रतिशत की बात करें तो इसमें आश्चर्यजनक कमी ने सभी को हैरत में डाल दिया है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार 2019 के लोकसभा चुनाव में 91 सीटों के लिए हुए पहले चरण के मतदान में 69.63 फीसदी मतदान हुआ था लेकिन 2024 के चुनाव में 102 सीटों के लिए कल हुए मतदान का प्रतिशत 60 फीसदी के आसपास रहा है जो 9 फीसदी कम रहा है। मतदान प्रतिशत में इतनी भारी कमी या गिरावट को सामान्य बात नहीं माना जा सकता है। अब तक देश में हुए किसी भी चुनाव में मतदान प्रतिशत में गिरावट ज्यादा से ज्यादा दो ढाई फीसदी से अधिक नहीं रही है। इससे पूर्व 1999 में जो लोकसभा चुनाव हुआ उसमें 60 फीसदी के आसपास मतदान हुआ था लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में 58 फीसदी मतदान हुआ जो दो फीसदी कम रहा था। यह वही इंडिया साइनिंग का दौर था जब अटल बिहारी वाजपेई की सरकार के कार्यकाल में भाजपा बुरी तरह हारी थी। जहां तक मतदान प्रतिशत के बढ़ने की बात है तो वह चुनाव दर चुनाव बढ़ता तो रहा है और यह बढ़त 5 प्रतिशत तक देखी गई है लेकिन किसी चुनाव में 9 फीसदी कम मतदान हो यह देश की राजनीति के इतिहास में पहली बार हुआ है। आमतौर पर कम या ज्यादा मतदान को लेकर यही माना जाता है कि ऐसे मतदान के चुनाव परिणाम चौंकाने वाले होते हैं। इस कम मतदान प्रतिशत के क्या मायने निकाले जाते हैं और क्या मायने रहेंगे इसका ठीक—ठाक पता तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही चल सकेगा लेकिन यह देखना अब और भी दिलचस्प होगा कि क्या यह चुनाव भाजपा के 400 पार के दावे पर मोहर लगाएगा या फिर विपक्ष के भाजपा को तड़ीपार के दावे को सच साबित करेगा। लेकिन इस कम प्रतिशत मतदान से एक बात तो साफ है कि चुनाव परिणाम बेहद ही चौंकाने वाले आने वाले हैं। हालांकि अभी 6 चरण का मतदान बाकी है यह भी हो सकता है कि अगले कुछ चरणों में इस गिरावट में कुछ कमी आए लेकिन 9—10 फीसदी की इस गिरावट की भरपाई होना संभव नहीं दिख रहा है क्योंकि यह कोई मामूली गिरावट नहीं है कम मतदान प्रतिशत के कारण इस बार इन 102 सीटों पर हार जीत का अंतर भी बहुत कम रहने का संभावना है। खास बात यह है कि इस बार मतदाताओं की खामोशी भी एक बड़ा रहस्य बनी हुई है। इसका लाभ और हानि किसे होगी यह सब भी अब 4 जून के नतीजे ही बताएंगे इस कम मतदान प्रतिशत ने नेताओं में अभी से बेचैनी पैदा कर दी है।