टारगेट पर युवा मतदाता

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भले ही चार महीने के अंदर दो—दो मुख्यमंत्री बदले जाने को लेकर विपक्ष हमलावर सही लेकिन भाजपा अब पुष्कर धामी को मुख्यमंत्री बनाकर भविष्य के सुनहरे सपनों का ताना—बाना बुन रही है। धामी जो अब तक के सबसे युवा मुख्यमंत्री है, उनका पूरा फोकस अब युवा मतदाताओं को रिझाने पर केंद्रित है। कुर्सी संभालते ही उन्होंने बेरोजगारों को रोजगार देने को प्राथमिकता देने की बात कही थी और अपनी पहली ही कैबिनेट बैठक में राज्य में विभिन्न विभागों में खाली पड़े 22 हजार पदों को जल्द भरने का निर्णय किया है। यही नहीं उन्होंने सरकारी नौकरी के लिए आयु सीमा पूरी कर चुके लाखों युवाओं को आयु सीमा में 1 साल की छूट देकर सरकारी नौकरी पाने का एक और मौका उन्हें देने का फैसला लिया इसका प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट बैठक में लाया जाएगा। यही नहीं धामी ने 3000 अतिथि शिक्षकों के सिर पर लटकी बेरोजगारी की तलवार से उन्हें मुत्तQ कर दिया है। अब उनकी नियुत्तिQयां आउटसोर्सिंग के जरिए गृह जनपद में की जाएगी तथा उनका मानदेय भी 15000 से बढ़ाकर 25000 कर दिया गया है। जो उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। युवा मुख्यमंत्री धामी युवाओं पर इस कदर मेहरबान है कि उन्होंने चुनाव से पूर्व युवाओं पर सौगातों की बरसात कर डाली है। उन्होंने मनरेगा में खाली पड़े पदों को भी जल्द भरने का ऐलान किया। तथा हड़ताल की अवधि का उनका वेतन भी अब नहीं काटा जाएगा। उनका कहना है कि जिला रोजगार दफ्तरों को आउटसोर्सिंग एजेंसी के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा जिससे युवाओं को उनके जनपद में ही संविदा पर काम मिल सकेगा। यही नहीं उन्होंने पुलिसकर्मियों के ग्रेड पे वेतन और नियमावली में संशोधन के लिए समिति बना दी तथा उपनल कर्मियों की समस्याओं के समाधान पर काम शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री धामी को हाईकमान ने चुनाव से पहले यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपने के साथ यह कार्य योजना भी तय कर दी गई है कि उन्हें क्या करना है? धामी के पास काम करने के लिए समय बहुत कम है यही कारण है कि वह 2022 के चुनाव को ध्यान में रखकर अपना हर काम करेंगे। राज्य के कुल 80 फीसदी मतदाताओं में से 57 फीसदी युवा मतदाता है। यही कारण है कि युवा मुख्यमंत्री अब इन 57 फीसदी युवाओं के वोट बैंक को अपनी सर्वाेच्च प्राथमिकता पर रखे हुए हैं। उनकी सोच है कि वह अगर इन युवा 57 फीसदी मतदाताओं में से 40 फीसदी को अपने पक्ष में खड़े कर सके तो यह आगामी चुनाव में भाजपा की जीत का आधार बन सकता है। यह अलग बात है कि इन बेरोजगारों को उनके शेष बचे 5—6 माह के कार्यकाल में नौकरी मिलना आसान नहीं होगा क्योंकि इसकी भर्ती प्रक्रिया में लंबा समय लग सकता है हां वह भर्ती प्रक्रिया शुरू तो करा ही सकते हैं आगे भगवान मालिक है कि यह भर्ती प्रक्रिया कब तक पूरी होती है? होती भी है या नहीं। क्योंकि पुराने तजुर्बे अच्छे नहीं रहे हैं।

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