राजधानी दून को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए जो काम किए जा रहे हैं वह दून वासियों के लिए मुसीबत का सबब बन चुके हैं। इन कार्यों को और नियोजित ढंग से किए जाने तथा सरकारी महकमों में आपसी तालमेल के अभाव के कारण अनेक तरह की समस्याएं पैदा हो गई है। सिटी योजना के तहत किए जाने वाले कार्यों के लिए बीते 1 साल में दून की तमाम सड़कों को खोद डाला गया है। जिनकी मरम्मत का काम समय से नहीं हो पा रहा है। जिसके कारण इन सड़कों पर चलना सिर्फ दिक्कतों भरा ही नहीं है अपितु दुर्घटनाओं को आमंत्रण देना बना हुआ है। बात चाहे राजपुर रोड की हो या ईसी रोड व सुभाष रोड अथवा क्रॉस रोड की हर जगह हर समय जाम की स्थिति बनी रहती है। वाहनों की भीड़ और बारिश से हुए कीचड़ के बीच लोगों का चलना भी दूभर हो गया है। पलटन बाजार, डिस्पेंसरी रोड व राजीव गांधी काम्प्लेक्स क्षेत्र में स्मार्ट सिटी के कार्याें के कारण व्यापारियों को भारी असुविधा हो रही है और उनका व्यवसाय चौपट हो रहा है। कई जगह इन निर्माण कार्यों के कारण पेयजल लाइनों और सीवर लाइनों के क्षतिग्रस्त होने से लोग मुसीबतें झेल रहे हैं। स्मार्ट सिटी के काम समय से पूरा नहीं हो रहे हैं वहीं खुदी हुई सड़कों की मरम्मत और निर्माण का काम भी समय से नहीं हो पा रहा है। इसके चलते अब मानसूनी मौसम में जगह—जगह कीचड़ व गढ्ढे नजर आने लगे है। सम्बन्धित विभागों के बीच आपसी तालमेल न होने के कारण इसका खामियाजा आम आदमी भोग रहा है। पीडब्ल्यूडी विभाग और स्मार्ट सिटी के अधिकारी इस अव्यवस्था का ठीकरा एक—दूसरे के सर फोड़ रहे हैं स्मार्ट सिटी के कार्य कब पूरे होंगे और कब लोगों को इन मुसीबतों से छुटकारा मिल सकेगा इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है फिलहाल स्मार्ट सिटी के नाम पर जो हो रहा है उसने शहर की सूरत इतनी बिगाड़ दी है कि लोगों की नाक में दम हो गया है। लोगों का कहना है कि इस तरह की स्थिति उन्होंने इस शहर में कभी नहीं देखी थी। दो दशक पूर्व एनडी तिवारी के कार्यकाल में राजधानी की सभी मुख्य सड़कों को जितना अच्छा बनाया गया था आज इनकी हालत उतनी ही अधिक खराब है। हालांकि उम्मीद की जा रही है कि चुनावी साल में जल्द हालात में सुधार आयेगा। हालांकि सड़क निर्माण के जो काम हो रहे हैं उनकी गुणवत्ता अभी सवालों के घेरे में है जिस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है।