बागी और निर्दलीय निकाय चुनाव में क्या गुल खिलाएंगे?

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  • भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में बेचैनी
  • चुनाव परिणाम के बाद कौन किधर जाएगा?

देहरादून। 11 नगर निगम, 43 नगर पालिका और 46 नगर पंचायत के अलावा बोर्ड सदस्य का चुनाव लड़ रहे बागी व निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या इस बार इतनी अधिक है कि वह किसी का भी खेल बना सकते हैं या फिर बिगाड़ सकते हैं। इन बागियों को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के अंदर इस बात की बेचैनी है। चुनाव परिणाम पर इनका क्या असर पड़ने वाला है। वही चुनाव परिणाम के बाद जीतने वाले बागी प्रत्याशी किसके पाले में खड़े होकर किसे मजबूत बनाएंगे या फिर किसे कमजोर करेंगे?
महापौर के 11 पदों के लिए कुल 72 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है बात अगर दून की करें तो यहां भाजपा—कांग्रेस के अलावा 7 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। जिन तीन नगर निगमों में यह निर्दलीय प्रत्याशी अत्यंत ही प्रभावी भूमिका में दिखाई दे रहे हैं उनमें ऋषिकेश, रुड़की और श्रीनगर की सीटों पर पेंच फंसा हुआ है। कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों पर यहां बागी प्रत्याशी भारी पड़ते दिख रहे हैं ठीक वैसे ही हालत नगर पालिका अध्यक्षों और नगर पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में भी है। बात अगर वार्डों के सदस्यों की की जाए तो यहां तो एक—एक वार्ड में तीन—तीन चार—चार बागी प्रत्याशी चुनाव मैदान में है जिसके चलते आम जनता भी यह सोचने पर मजबूर है कि वह अपना वोट किसे दें और किसे न दे।
इस चुनाव में कुल मिलाकर 5405 प्रत्याशी मैदान में है। जो अधिकृत पदों से 5 गुना अधिक हैं। इस बार इन बागी प्रत्याशियों के कारण भाजपा व कांग्रेस भले ही अपनी—अपनी जीत के दावे कर रहे हो लेकिन अभी तक दोनों ही दलों में से कोई भी अपनी जीत को लेकर आस्वस्त नहीं है। 25 जनवरी को मतगणना के बाद ही पता चल सकेगा कि यह बागी किस हद तक सफल होते हैं और इसका किस दल पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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