- अभी भी 2000 से अधिक लोग फंसे हैं, 7000 से अधिक निकाले
- पैदल मार्गो से रेस्क्यू का काम जारी
- लिचोली व भीमबली में सर्चिंग शुरू
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ मानसूनी आपदा के कारण फंसे यात्रियों को सुरक्षित लाने के लिए आज भी रिस्क अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन घाटी में छाए घने काले बादलों के कारण हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू करने का काम नहीं हो पा रहा है। घाटी में विजिबिलिटी शून्य होने के कारण सेना के हेलीकॉप्टर काम नहीं कर पा रहे हैं। वही वैकल्पिक पैदल मार्गों एनडीआरफ और एसडीआरएफ के जवानों द्वारा रेस्क्यू अभियान जारी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक 7000 से अधिक लोगों को सुरक्षित नीचे ले आया गया है जबकि अभी भी 2000 से अधिक लोगों के ऊपर फंसे होने की बात कही जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा खुद बचाव व राहत कार्यों की मॉनिटरिंग की जा रही है। मुख्यमंत्री धामी का कहना है कि हमारी सबसे पहली प्राथमिकता उन सभी यात्रियों की सुरक्षित वापसी है जो अभी भी यात्रा मार्गो पर फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि खराब मौसम के कारण कुछ दिक्कतें पेश आ रही है। गांव बाड़ा के ऊपर विजिबिलिटी शून्य होने के कारण हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू का काम नहीं हो पा रहा है। यात्रियों को बचाव राहत कार्यों में लगी एजेसियो के लोग उन्हें पैदल मार्ग से बाहर लाने का काम कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि उन्होंने अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए हैं कि रास्तों में फंसे यात्रियों के लिए समुचित भोजन पानी की व्यवस्था कराई जाए। आज एक डॉक्टरों की टीम को प्रभावित क्षेत्र के लिए रवाना किया गया है। जिससे अगर किसी यात्री को मेडिकल सेवा की जरूरत हो तो वह मिल सके। इस आपदा को आज चौथा दिन है। बीते तीन दिनों से रेस्क्यू चल रहा है। यात्रा को स्थगित कर दिया गया है लेकिन रेस्क्यू का काम कब तक पूरा होगा और यात्रा कब शुरू हो पाएगी इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। सभी अधिकारियों का कहना है कि उनकी पहली प्राथमिकता रास्ते में फंसे लोगों को सुरक्षित वापस लाना है।