तीसरी लहर का खतरा

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भले ही कोरोना की दूसरी लहर के बाद हमें यह लग रहा हो कि स्थितियां सामान्य होती जा रही है। यातायात संचालन और बाजार तथा स्कूल फिर से खुल रहे हैं लेकिन सच यह है कि तीसरी लहर का खतरा अभी भी हमारे सर पर मंडरा रहा है। देश में कोरोना मरीजों की संख्या अभी भी 40—45 हजार प्रतिदिन से नीचे नहीं आ रही है भले ही अकेले केरल राज्य में आधे के करीब मरीज मिल रहे हो लेकिन महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल तथा असम जैसे कई राज्य हैं जहां संक्रमण दर चिंताजनक है। खास बात यह है कि दूसरी लहर के बाद दिनोंदिन जांच टेस्टिंग कम होती जा रही है। अगर उत्तराखंड की बात करें तो यहां पहले 1 सप्ताह में डेढ़ पौने दो लाख टेस्टिंग हो रही थी जो अब 75—80 हजार ही रह गई। प्रतिदिन 10—12 हजार सैंपल की जांच हो रही है। अगर यह जांच पहले की तरह हो तो संक्रमित मामलों की संख्या भी इससे तीन चार गुना हो सकती है। यह हाल तब है जब राज्य में डेल्टा वैरीएंट के मामले भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पहले उधम सिंह नगर में दो डेल्टा प्लस के मामले सामने आए थे लेकिन अब इनकी संख्या 3 और मरीजों में डेल्टा प्लस की पुष्टि के बाद 5 हो गई है। वही रुद्रप्रयाग में एक डेल्टा प्लस का मरीज मिला है। राज्य में अभी की साढ़े तीन सौ के करीब एक्टिव मरीज हैं। राज्य सरकार ने इस समय 40 हजार टेस्टिंग का लक्ष्य रखा है लेकिन इसके सापेक्ष सिर्फ 10—12 हजार ही टेस्ट हो पा रहे हैं। जो अत्यंत ही कम है। बात अगर हिमाचल और पंजाब की करें तो यहां बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों के संक्रमित मिलने के बाद फिर से स्कूलों को बंद करने का निर्णय लेना पड़ा है। कोरोना के नित नए—नए वेरिएंट सामने आने से चिंताएं बढ़ना लाजमी है। भले ही भारत सहित तमाम विश्व राष्ट्रों में वैक्सीनेशन का काम तेजी से जारी हो तथा कुछ विकसित देश टीकाकरण के बाद तीसरी बूस्टर डोज पर काम शुरू करने जा रहे हो। परंतु अभी तक कोरोना कहां से आया इसका स्रोत क्या है? का पता नहीं लग सका है। इसलिए इसका कोई शर्तिया इलाज भी संभव नहीं हो सका है। केंद्र सरकार तीसरी लहर को लेकर सतर्क है यह अच्छी बात है। सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर लागू प्रतिबंधों की समय सीमा 30 सितंबर तक बढ़ा दी है। अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध अभी लागू रहेगा। लेकिन राज्य सरकारों को भी सतर्क होने की जरूरत है। टेस्टिंग और वैक्सीनेशन बढ़ाने के साथ खतरे के मद्देनजर हमें अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त रखने की जरूरत है।

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