इस साल डिजिटल मीडिया रेवेन्यू के मामले में टेलीविजन को पीछे छोड़ देगा

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नई दिल्ली। साल 2024 में डिजिटल मीडिया रेवेन्यू के मामले में टेलीविजन को पीछे छोड़ देगा। बिजनेस चैंबर फिक्की की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में अनुमान है कि डिजिटल मीडिया का रेवेन्यू बढ़कर 751 अरब रुपये रह सकता है जबकि टेलीविजन का रेवेन्यू 718 अरब रुपये रहने का अनुमान है। फिक्की – ईवाई की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में देश के मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर ने जोरदार ग्रोथ दिखाया है और ये 8।1 फीसदी के ग्रोथ (173 अरब रुपये) के साथ 2।32 लाख करोड़ रुपये पर जा पहुंचा है। रिपोर्ट में ये अनुमान जताया गया है कि 2024 में ये इसे पार कर सकता है इस वर्ष 10 फीसदी के ग्रोथ रेट के साथ कुल रेवेन्यू 2।55 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 2023 से 2026 के बीच टेलीविजन का रेवेन्यू 3।2 फीसदी से बढ़ेगा वहीं डिजिटल मीडिया का रेवेन्यू डबल डिजीट ग्रोथ दिखाएगा और इसके 13।5 फीसदी के दर से बढ़ने का अनुमान है। 2026 तक मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर का रेवेन्यू 3।08 लाख करोड़ रुपये को भी पार कर जाएगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना महामारी के दौर के पूर्व काल से ये सेक्टर 21 फीसदी का ग्रोथ दिखा चुका है लेकिन टेलीविजन, प्रिंट और रेडियो 2019 के लेवल से भी पीछे चल रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक टेलीविजन को छोड़कर 2023 में मीडिया और एंटरटेनमेंट के सभी सेगमेंट्स ने ग्रोथ दिखाया है। 2023 में 172 अरब रुपये रेवेन्यू बढ़ा है हालांकि ये 2022 के 371 अरब रुपये के मुकाबले आधा हो रहा है। विज्ञापन में कमी के चलते रेवेन्यू में गिरावट देखने को मिली है। जबकि डिजिटल और ऑनलाइन गेमिंग जैसी न्यू मिडिया ने 2023 में 122 अरब रुपये का रेवेन्यू रहा है। 2019 में मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर में न्यू मिडिया की हिस्सेदारी 20 फीसदी थी जो 2023 में बढ़कर 38 फीसदी हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक सभी सेगमेंट में टेलीविजन के ग्रोथ रेट में 2022 के मुकाबले 2023 में 2 फीसदी का नेगेटिव ग्रोथ देखने को मिला है। टेलीविजन विज्ञापन में 6।5 फीसदी की कमी आई है क्योंकि गेमिंग और डी2सी ब्रांड ने विज्ञापन खर्च कम कर दिया है। जबकि डिजिटल विज्ञापन में 15 फीसदी का ग्रोथ देखने को मिला है। डिजिटल सब्सक्रिप्शन के रेवेन्यू में 9 फीसदी का उछाल आया है और ये 78 अरब रुपये पर जा पहुंचा है। रिपोर्ट के मुताबिक दो साल लगातार डबल डिजिट में ग्रोथ दिखाने के बाद देश के नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार धीमी पड़ गई है और ये केवल 9 फीसदी से दर से बढ़ा है जिसका असर विज्ञापन से होने वाले रेवेन्यू पर पड़ा है।

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