देहरादून। शासन—प्रशासन में बैठे नेता और अधिकारी चार धाम यात्रा में उमड़ रही रिकॉर्ड भीड़ पर फूले नहीं समा रहे हैं। धामों के पंडा, पुजारी और व्यवसाई अपनी जेब भरने में व्यस्त और मस्त हैं लेकिन आस्था की डोर से बंधे श्रद्धालु धामों की अव्यवस्थाओं से इस कदर त्रस्त है कि वह सूबे के शासन—प्रशासन को पानी पी—पीकर कोस रहे हैं। यात्रियों को दर्शनों के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है फिर भी दर्शन न कर पाने का मलाल लेकर लौटने वाले यात्रियों की जुबान पर एक ही बात है कि इस तरह की अव्यवस्थाएं उन्होंने कहीं नहीं देखी हैं।
धामों में ऐसी स्थिति पैदा होने के पीछे भले ही शासन—प्रशासन द्वारा खराब मौसम को जिम्मेदार ठहराया जा रहा हो लेकिन धाम में क्षमता से कई गुना ज्यादा यात्रियों का पहुंचना इसका मुख्य कारण है। सरकार द्वारा पंजीकरण की व्यवस्था को समाप्त किए जाने और क्षेत्रीय व्यवसायी तथा तीर्थ पुरोहितों और पुजारियों के दबाव में सीमित संख्या के नियम को वापस लिए जाने से धामों की सारी व्यवस्थाएं धराशाई हो गई हैं। दर्शनों की कई—कई किलोमीटर लंबी लाइनें लगी हुई हैं। एक दिन में 20—20 घंटे कपाट खुले रखकर भी 20 से 25 हजार यात्रियों को कैसे दर्शन करवाए जा रहे होंगे इसका अंदाजा हर कोई सहज लगा सकता है।
धामों में ठहरने और खाने—पीने की चीजों पर जमकर लूट मची है तथा यात्रियों को नौ की जगह सौ खर्च करने पड़ रहे हैं। कर्नाटक से आए एक यात्री दल से केदारधाम में हेली सेवा के लिए ठगी कर ली गई और उन्हें बीते साल के फर्जी टिकट थमा दिए गए जिसकी उनके द्वारा पुलिस रिपोर्ट कराई गई है यह तो महज एक उदाहरण भर है।
अभी यात्रा को शुरू हुए 45 दिन (डेढ़ माह) का समय हुआ है अब तक आठ लाख श्रद्धालुओं को दर्शन कराए जाने की जानकारी है बीते साल इतने समय में 7 लाख श्रद्धालु आए थे जो इस साल एक लाख अधिक हैं। इस रिकॉर्ड पर सत्ता में बैठे लोग अपनी पीठ थपथपा रहे हैं और इसे अपनी बेहतर व्यवस्थाओं का कमाल मान रहे हैं लेकिन इन यात्रियों को रास्तों और धामों में क्या परेशानियां झेलनी पड़ रही है इससे किसी को कोई सरोकार नहीं है।
124 श्रद्धालुओं की मौत लेकिन स्वास्थ्य केंद्रों पर एक भी मौत नही
देहरादून। चारधाम यात्रा पर आने वाले 124 यात्रियों की मौत हार्ट अटैक या शीत के प्रकोप व ऑक्सीजन की कमी के कारण सांस लेने में दिक्कत के कारण हो चुकी है लेकिन स्वास्थ्य मंत्री को इन मौतों पर कोई अफसोस नहीं है उन्हें इस बात पर गर्व है कि स्वास्थ्य केंद्रों पर एक भी मौत नहीं हुई है। उनका कहना है कि उनकी सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है कि अब तक तीन दर्जन लोगों को एअरलिफ्ट कराया जा चुका है। खास बात यह है कि अकेले केदार धाम यात्रा के दौरान 60 के आसपास मौतें हो चुकी हैं।