सड़क का हिस्सा भी धंसा, 13 गांवों का संपर्क टूटा
चमोली। उत्तराखंड की अति महत्वकांक्षी परियोजनाओं में से एक ऋषिकेश—कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के लिए होने वाले निर्माण कार्य की गुणवत्ता कैसी है? इसकी बानगी है जनपद चमोली के अंतर्गत सिवाई में बनने वाली टनल की दीवार का ढह जाना। इस दीवार के ढहने से इस टनल के ऊपर बनने वाली सड़क का भी 10 मीटर हिस्सा कई फीट नीचे धंस गया जिससे इस मार्ग पर यातायात बंद हो गया है और 13 गांवों का संपर्क मुख्य बाजार से टूट गया है।
उल्लेखनीय है कि इन दिनों ऋषिकेश—कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर कार्य गतिमान है। इस अति महत्वकांक्षी परियोजना से चार धाम यात्रा को सरल बनाने के दावे किए जा रहे हैं 126 किलोमीटर की इस सिंगल रेलवे लाइन के लिए 35 पुलों और 17 टनलों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। 16200 करोड की प्रस्तावित लागत वाली इस परियोजना में बनने वाली 17 टनलों में से एक टनल तो 15 किलोमीटर लंबी है जिसके बारे में कहा जा रहा है यह एशिया की सबसे लंबी रेल टनल होगी। इस परियोजना को लेकर उत्तराखंड के लोगों में जहां भारी उत्साह है वहीं कुछ संस्थाएं और संगठन पर्यावरण व पहाड़ को होने वाले नुकसान को लेकर भी अपनी चिंताएं जताते रहे हैं। ऑल वेदर रोड के कारण पहाड़ों पर जो कटिंग कार्य हुआ है उसके कारण अनेक डेंजर जोन बन चुके हैं तथा पहाड़ दरकने की घटनाएं बढ़ी हैं। इस बड़ी रेल परियोजना के लिए भी प्रकृति व पहाड़ से बड़े स्तर पर छेड़छाड़ स्वाभाविक होगी। जो एक गंभीर खतरे के तौर पर देखी जा रही है। चमोली के सिवाई में बन रही रेलवे टनल के पहली ही बारिश में दीवार ढहने की घटना से यह साफ हो गया है कि इसके निर्माण कार्य की गुणवत्ता ठीक नहीं है। टनल के ऊपर से गुजरने वाली सिवाई—कर्णप्रयाग सड़क का एक बड़ा हिस्सा भी इस दीवार के ढहने से कई फुट नीचे धंस गया है जिसके कारण इस मार्ग पर यातायात ठप हो गया है और 13 गांवों का संपर्क मुख्य बाजार से कट गया है। देखना यह है कि रेल विकास निगम जो इस परियोजना को पूरा कर रहा है इस मामले में क्या कार्रवाई करता है।