नेताओं और उलेमाओं का हल्द्वानी में जमावड़ा
हिंदू—मुस्लिम व वोटों का गणित लगना शुरू
गरीबों के बेघर होने की चिंता किसी को नहीं
हल्द्वानी। हल्द्वानी रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण हटाने का मामला अब राजनीतिक रंग लेता जा रहा है। एक तरफ इस अहम मुद्दे को लेकर कानूनी लड़ाई जारी है तो वहीं दूसरी तरफ प्रभावित 50 हजार लोगों का आंदोलन है। जिसके बीच अब सियासी और सामाजिक संगठनों के भी कूद जाने से मुद्दा और अधिक गरमाता दिख रहा है।
नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिए जाने के बाद रेलवे प्रशासन और जिला प्रशासन जहां अतिक्रमण हटाने की तैयारियों में जुटा है लाल निशान व पिलर लगाकर चिन्हीकरण तथा नोटिस जारी कर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई हो रही है, वही आज एडीआरएम की टीम भी मौके पर पहुंची है और स्थिति का जायजा ले रही है। भले ही पीड़ित पक्ष हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा चुका है जहां 5 जनवरी को इस पर सुनवाई होनी है लेकिन आज हल्द्वानी में जमायत उलेमा ए हिंद के प्रतिनिधियों ने जनसभा कर इस कार्रवाई का विरोध किया है। उनका कहना है कि कई पीढ़ियों से यहां बसे लोगों को उजाड़ने से पहले सरकार को उनका पुनर्वास सुनिश्चित करना चाहिए। इस भीषण सर्दी के समय में लोग अपने मासूम बच्चों और महिलाओं के साथ कहां जायेगें। उनका कहना है कि अगर जोर जबरदस्ती की गई तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे। लोग बिजली—पानी के बिल दे रहे हैं, आधार कार्ड और वोटर कार्ड भी इसी पते पर बने हैं फिर भला इन्हें किस आधार पर अतिक्रमणकारी ठहराया जा सकता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इसे लेकर क्षेत्र के हजारों लोग सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं। उधर इस मुद्दे को लेकर सपा का एक प्रतिनिधिमंडल भी आज हल्द्वानी पहुंचने वाला है। प्रदेश प्रभारी के नेतृत्व में जाने वाले इस प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि यह मानवीय आधार पर एक अनुचित फैसला है। 4 हजार से अधिक घरों को तोड़कर लोगों को बेघर भला कैसे किया जा सकता है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पहले से विरोध कर रही है। पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि भाजपा सरकार का अमानवीय चेहरा सबके सामने आ चुका है। यशपाल आर्य का कहना है कि सरकार इतने सालों से कहां सो रही थी जब अतिक्रमण हो रहा था तब सरकार ने इसे क्यों नहीं रोका।
उधर इस मामले में अल्पसंख्यकों के सबसे बड़े हिमायती कहे जाने वाले ओवेसी ने भी एक ट्यूट के जरिए भाजपा पर निशाना साधा है उन्होंने लिखा है कि भारत अल्पसंख्यकों के लिए स्वर्गः भाजपाई। उन्होंने कई घटनाओं का जिक्र करते हुए अल्पसंख्यकों पर हमलों का जिक्र अपने ट्वीट में किया है। सवाल यह है कि क्या इस बात से इन नेताओं को कोई सरोकार नहीं है कि जिन 50 हजार लोगों के सर से छत छिन सकती है उनकी किसी को भी परवाह है? या फिर सभी इसमें हिंदू मुस्लिम और वोटों का गणित तलाश रहे हैं।