मुंबई। फिल्मकार, गीतकार और उर्दू कवि गुलजार के साथ-साथ संस्कृत भाषा के विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चुना गया है। पुरस्कार से जुड़े सेलेक्शन पैनल ने बताया कि गुलजार और जगद्गुरु रामभद्राचार्य को ज्ञानपीठ पुरस्कार 2023 के लिए चुना गया है। गुलजार को साहित्य अकादमी और दादा साहब फाल्के पुरस्कार पहले ही मिल चुके हैं। वहीं रामभद्राचार्य पद्म विभूषण से सम्मानित हो चुके हैं।
अपनी बेहद शानदार रचना के लिए दुनियाभर में पहचाने जाने वाले गीतकार गुलजार को उर्दू भाषा में उनके अतुलनीय योगदान के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजे जाने का ऐलान किया गया है। साथ ही जगद्गुरु रामभद्राचार्य को भी संस्कृत भाषा में उनके योगदान के लिए साहित्य के इस शीर्ष सम्मान के लिए नाम चयनित किया गया है। चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य एक विश्व विख्यात हिंदू आध्यात्मिक गुरु, शिक्षक और 100 से अधिक किताबों के लेखक हैं।
दूसरी ओर, जन्म के 2 महीने बाद ही आंखों की रोशनी गंवाने वाले जगद्गुरु रामभद्राचार्य एक बेहतरीन शिक्षक होने के साथ-साथ संस्कृत भाषा के विद्वान भी रहे हैं. कई भाषाओं के जानकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने 100 से अधिक किताबों की रचना की है. उन्हें 22 भाषाओं का ज्ञान है. जगद्गुरु रामभद्राचार्य को पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है. भारत सरकार की ओर से साल 2015 में जगद्गुरु रामभद्राचार्य को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। रामभद्राचार्य की चर्चित रचनाओं में श्रीभार्गवराघवीयम्, अष्टावक्र, आजादचन्द्रशेखरचरितम्, लघुरघुवरम्, सरयूलहरी, भृंगदूतम् और कुब्जापत्रम् शामिल है।
ज्ञानपीठ चयन समिति की ओर से जारी बयान में कहा गया, “यह पुरस्कार (2023 के लिए) 2 भाषाओं के उत्कृष्ठ लेखकों को देने का फैसला लिया गया है- संस्कृत साहित्यकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार गुलजार.” पिछली बार साल 2022 के लिए प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार गोवा के लेखक दामोदर मावजो को दिया गया था।