कहां गुम हो गया लोकायुक्त

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`बड़ा शोर सुना था हाथी की दुम का, पास जाकर देखा तो सुतली से लटक रही थी, उत्तराखंड में लोकायुक्त के गठन पर उक्त कहावत एक दम चरितार्थ दिखाई देती है। तत्कालीन मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने लोकायुक्त गठन में देश का पहला राज्य बनने को लेकर खूब तालियां बटोरी थी। भ्रष्टाचार रोधी सबसे सशक्त माध्यम वाले इस लोकायुक्त बिल को लेकर शायद किसी ने भी यह नहीं सोचा होगा कि उत्तराखंड में इसकी ऐसी भी छीछालेदर हो सकती है। 2017 के विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा ने अपने दृष्टि पत्र में अपनी सरकार बनने पर 100 दिन के अंदर लोकायुक्त गठन का वायदा जनता से किया था। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह ने 2017 में प्रचंड बहुमत वाली सरकार की जब कमान संभाली तो उन्होंने सबसे पहले घोषणा भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की की थी। अपने पहले ही विधानसभा सत्र में उन्होंने लोकायुक्त बिल को सदन के पटल पर रख कर यह दिखाया था कि वह जैसे भ्रष्टाचार को लेकर वास्तव में उतने ही संजीदा है जैसा कह रहे हैं लेकिन इस बिल की खामियां सुधारने के लिए इसे प्रवर समिति के हवाले कर दिया गया अब भाजपा की सरकार अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा करने जा रही है लेकिन इस लोकायुक्त बिल का कुछ अता पता नहीं है कि यह बिल कहां गुम हो गया। इससे पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार बी सी खंडूरी सरकार के लोकायुक्त बिल को यह कहकर रद्दी की टोकरी में डाल चुकी थी कि इसमें कई खामियां है। इसलिए वह नया लोकायुक्त लायेगी जो इससे बेहतर होगा। मगर कांग्रेसी नेता सीएम की कुर्सी को लेकर ही 5 साल तक लड़ते झगड़ते रहे और इस बिल को लाने का कोई प्रयास किसी ने नहीं किया। अब वर्तमान सरकार यह कहकर अपना बचाव कर रही है कि जब उनके राज्य में भ्रष्टाचार ही नहीं है तो फिर लोकायुक्त की क्या जरूरत है। धन्य है सूबे के नेता जिन्हें अब राज्य में भ्रष्टाचार दिखता ही नहीं है इनसे जरूर पूछा जाना चाहिए कि अभी महाकुंभ के दौरान कोरोना की फर्जी जांच का जो करोड़ों का घोटाला किया गया वह भ्रष्टाचार था या सदाचार था। इससे भी हैरान करने वाली बात यह है कि सरकार ने लोकायुक्त का गठन तो किया नहीं लेकिन 2020—2021 में लोकायुक्त कार्यालय पर एक करोड़ दस लाख रुपए खर्च कर दिए गए क्या यह भ्रष्टाचार नहीं है? अभी ढैंचा बीज घोटाले को लेकर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के बारे में डॉक्टर हरक सिंह ने जो कहा था कि उन्हें मैंने ही बचा लिया वरना वह जेल में होते। उनका यह बयान इसलिए बताना जरूरी है क्योंकि लोकायुक्त गठन के बारे में यह कहा जाता है कि इन नेताओं ने लोकायुक्त का गठन इस लिए आज तक नहीं होने दिया है क्योंकि उन्हें अपने जेल जाने का डर सताता रहा है। वह जानते हैं कि अगर राज्य में कोई सशक्त लोकायुक्त होगा तो आधे नेता जेल की हवा खा सकते हैं। अब इन नेताओं ने प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त घोषित कर दिया है ठीक ही तो है ट्टन होगा बांस न बजेगी बांसुरी’।

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