स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के लिये थापर की याचिका पर हाई कोर्ट की सरकार को अंतिम चेतावनी

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देहरादून। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बढाने सम्बन्धित जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार को अंतिम समय देते हुए अगली सुनवायी के लिए 14 जून की तिथि निहित की है।
उल्लेखनीय है कि 2021 में पूरे भारत मे कोरोना महामारी व उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की शिथिलता और पहाड़ में अन्य बीमारियों हेतु भी स्वास्थ्य सुविधाओं के आभाव के दृष्टिगत, अतः प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने हेतु कांग्रेस नेता व सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने हाईकोर्ट नैनीताल में जुलाई 2021 पर जनहित याचिका दायर की जिसपर पर हाईकोर्ट ने 4 जनवरी 2023 को दोनों पक्षों को अंतिम अवसर दिया और चेतावनी देकर पुनः नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में याचिका पर अपना पक्ष रखने का अंतिम अवसर दिया । किंतु आज लगभग 2 दो वर्ष बीत जाने के बाद भी सरकार के आवास विभाग ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया । इस पर हाईकोर्ट ने गंभीरता से संज्ञान लिया और जनहित याचिका में उल्लेखित पहाड़ में स्वास्थ्य सुविधाओं हेतु समस्त मांगों पर सरकार को दिशा—निर्देश दिये। अभिनव थापर ने हाईकोर्ट के समक्ष मुख्य बिंदु में आवास विभाग की हॉस्पिटल, नर्सिंग होम व स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले संस्थान के वन टाइम सेटलमेंट— ओटीएस—2021 स्कीम में कमियों व क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट — सीईए से संबंधित है। इनके नियमों में शिथिलता से उत्तराखंड में हॉस्पिटल बेड की वर्तमान संख्या को घटने से रोकना व उनकी संख्या बढ़ाने का भी प्रावधान किया जा सकेगा। याचिका में पहाड़ी क्षेत्र में लिये विशेष शिथिलीकरण की मांग की गई है जिससे प्रदेश के दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ सुविधाओं का अवसर बढ़ सके और पूरे प्रदेश को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सके। जनहित याचिका के हाईकोर्ट में अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि आज सुनवाई के उपरांत हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस विपिन सांघी व जस्टिस आलोक कुमार वर्मा युक्त पीठ ने सरकार को जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया, सरकार को सख्त दिशा—निर्देश दिए की अगले 4 हफ्ते में जवाब दाखिल किया जाय और कोर्ट ने अब फाइनल सुनवाई की तारीख 14 जून 2023 भी तय कर दी है। अभिनव थापर ने कहा कि मेरी मांगो पर सहमति जताने के लिए हाईकोर्ट का सादर आभार। सरकार लगभग 2 वर्षों से जवाब देने से भाग रही थी किन्तु उनके संघर्ष के बाद अंततः सरकार को अब पहाड़ में स्वास्थ्य सुविधाओं बढ़ाने के लिये नियमों शिथलीकरण करना पड़ेगा जिससे उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों को लाभ मिलेगा।

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