हवा का रुख बताते एग्जिट पोल्स नतीजे

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अंतिम चरण का मतदान समाप्त होते ही तमाम टीवी चैनलों व एजेंसियों के चुनावी नतीजों पर एग्जिट पोल आने शुरू हो गए। यह स्वाभाविक ही है कि इन एग्जिट पोल के नतीजों को लेकर सभी उत्सुक थे, दो दिन बाद आने वाले मतगणना परिणाम से पूर्व आये इन एग्जिट पोल्स के नतीजों से लोग और राजनीतिक दल यह जानने को बेताब थे कि कहां किस राज्य में किस दल की क्या स्थिति रहने वाली है? किसकी सरकार बनेगी और किसकी सरकार जाएगी। एग्जिट पोल्स भले ही चुनाव परिणाम न सही लेकिन यह हवा का रुख क्या रहा इसे समझने का संकेत ही कहे जा सकते हैं। अगर एग्जिट पोल चुनावी नतीजों के आसपास भी रहते हैं तब भी यह मान लिया जाता है कि अमुक एग्जिट पोल सही था। अगर इन एग्जिट पोल्स का विश्लेषण किया जाए तो यह साफ समझा जा सकता है कि हर एक न्यूज चैनल और एजेंसी के पोल में जमीन—आसमान का अंतर होता है। उदाहरण के तौर पर अगर उत्तराखंड की ही बात की जाए तो 10 एक्जिट पोल के नतीजों में से चार में भाजपा की सरकार बनते हुए दिख रही है, जबकि पांच में कांग्रेस सत्ता में आती दिख रही है। एक एग्जिट पोल में कांग्रेस को 20 सीटें मिलते दिखाया गया है वही एक दूसरे एग्जिट पोल में 40 सीटों पर भी जीतते दिखाया गया है। अगर पूर्व अनुमानों की बात की जाए तो दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी ने बंपर जीत हासिल की थी उस समय किसी भी एग्जिट पोल्स ने उसे सत्ता में आते हुए नहीं दिखाया। वहीं यूपी में जब मायावती की सरकार बनी थी तो एग्जिट पोल्स बसपा को सिर्फ 40 से 50 सीटें मिलने का ही अनुमान लगा रहे थे। एग्जिट पोल करने वाली किसी भी एजेंसी या टीवी चैनल के पास ऐसा कोई यंत्र या तकनीक नहीं है कि वह मतदाता से मिलकर यह पता लगा लें कि उसने किस पार्टी को वोट दिया है। इसलिए एग्जिट पोल्स में जो भी दिखाया जाए वैसा ही परिणाम मतगणना के बाद भी आए ऐसा संभव ही नहीं है। एग्जिट पोल्स में 10 से 20 फीसदी ऊपर नीचे चुनाव परिणामों का आना कोई खास बात नहीं है। कई बार तो चुनाव परिणामों को एग्जिट पोल्स नतीजों के एकदम उलट आते हुए भी देखा गया है। दरअसल वर्तमान दौर में एग्जिट पोल्स टीवी चैनलों के लिए टीआरपी बटोरने का भी जरिया बन चुके हैं। बीते कल यूपी में सातवें चरण का मतदान 6 बजे तक चला कई चैनलों द्वारा 4—5 बजे से एग्जिट पोल दिखाये जाने लगे। यह भला कैसे संभव है कि मतदान से पूर्व ही आप यह जान ले कि किसने किसे वोट दिया। कई नेता और राजनीतिक दल एग्जिट पोल को देखकर खुश हो सकते हैं, लेकिन अभी किसी को भी इसे लेकर बहुत खुश होने या हताश होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि यह चुनाव परिणाम नहीं है। अच्छा हो किसी भी दल और नेता 10 मार्च का धैर्य पूर्वक इंतजार करें जब असली चुनाव नतीजे आएंगे, हां एग्जिट पोल्स नतीजों ने नेताओं की धड़कनें जरूर बढ़ा दी है।

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