पूर्व सीएम हरीश रावत 24 घंटे के धरने पर बैठे

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देवधरा की अस्मिता बचाने के लिए है धरना
बेटियों को न्याय दो, वीआईपी का नाम बताओ

देहरादून। अंकिता हत्याकांड केवल एक पहाड़ की बेटी की हत्या का मामला नहीं है यह देवभूमि की अस्मिता का सवाल है, मेरा यह धरना मेरी अंतरात्मा की एक तड़फ है एक क्रंदन है। कल इतिहास हमसे पूछेगा कि जब पहाड़ की बेटियों की इज्जत को तार—तार किया जा रहा था और न्याय नहीं मिल रहा था तब हम क्या कर रहे थे?
यह बात आज अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने की मांग को लेकर गांधी पार्क में 24 घंटे के लिए धरने पर बैठे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कही। उन्होंने कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कि जिस वजह से अंकिता की जान ली गई वह स्पेशल सर्विस क्या थी? क्या उस वीआईपी को चाय की जगह कॉफी परोसने या दाल में कोई स्पेशल छौंका लगाने के लिए दबाव बनाया जा रहा था उस वीआईपी को कौन सी स्पेशल सर्विस देने का दबाव बनाया जा रहा था जिसका जिक्र अंकिता ने अपनी कॉल में किया। मैं जानना चाहता हूं कि वह स्पेशल सर्विस क्या थी? जिसका दबाव उस पर बनाया जा रहा था। उन्होंने कहा कि मैं यह जानना चाहता हूं कि वह कौन वीआईपी था जो अपने बाउंसर और सिक्योरिटी के साथ आता था या आने वाला था। मैं जानना चाहता हूं कि वंनत्रा रिजार्ट में इस देवधरा को कलंकित करने का खेल कब से खेला जा रहा था।
उन्होंने कहा कि कानून अपना काम कर रहा है और करेगा लेकिन इस मामले का पूरा सच सामने आना चाहिए जिन बातों का जिक्र अंकिता के फोन कॉल से हुआ है उन्हें छुपाया क्यों जा रहा है? उन्होंने कहा कि इस देवधरा को हवस के दरिंदों से बचाने के लिए वह धरने पर बैठे हैं। यह मेरी नहीं प्रदेश की आम जनता की मांग है। इस भीषण सर्दी को रात में धरने पर बैठने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह व्यक्ति जो प्रदेश का मुख्यमंत्री, विधायक और सांसद बनने की इच्छा रखता हो उसके लिए गर्मी सर्दी और बरसात का क्या प्रभाव हो सकता है। अगर मैं इन दुश्वारियों को नहीं झेल सकता तो मुझे अपने घर बैठना चाहिए। यह मेरी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी है जिससे मैं कभी नहीं भाग सकता। प्रशासन द्वारा हरीश रावत को रात में यहां विश्राम न करने की सलाह दी गई है लेकिन वह कल दोपहर 12 बजे तक धरने पर बैठने की जिद पर अड़े हैं उनके साथ गोविंद सिंह कुंजवाल व प्रदीप टम्टा सहित तमाम अन्य नेता और कार्यकर्ताओं के साथ आम लोग भी धरने पर बैठे हैं।

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