खबर का असरः सरकारी ऐप से हटाए आपत्तिजनक शब्द

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सांध्य दैनिक `दून वैली मेल’ ने कल 21 जून के अंक में छापी थी खबर
लापरवाह कर्मचारी व अधिकारियों पर भी हो कार्यवाही

देहरादून। उत्तराखंड सरकार के ई सर्विस पोर्टल की अपुणी सरकार ऐप में दी गई जन सुविधाओं का क्या हाल है? तथा किरायेदारों के वेरिफिकेशन के लिए बनी पुलिस ऐप पर मकान मालिक और किरायेदारों के व्यवसाय के बारे में मांगी जानकारियों वाले कॉलम में कैसे—कैसे आपत्तिजनक शब्द शामिल हैं, के बारे में कल 21 जून को सांध्य दैनिक `दून वैली मेल’ के अंक में विस्तार से प्रकाशित की गई खबर का असर देखने को मिला। इस ऐप में जितने भी आपत्तिजनक शब्द लिखे गए थे अब उन सभी शब्दों को हटा लिया गया है।


उल्लेखनीय है कि कल हमने अपनी खबर में सरकार और प्रशासन में बैठे लोगों की कार्यश्ौली का खुलासा करते हुए कहा था कि सूबे के कर्मचारी और अधिकारी कितनी लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना तरीके से काम कर रहे हैं। देहरादून में मकान मालिकों द्वारा जब किरायेदारों का सत्यापन ऑनलाइन कराने के लिए इस ऐप का सहारा लिया गया तो पुलिस की इस ऐप में उनके व किरायेदारों के व्यवसाय की जानकारी वाले कॉलम में व्यवसाय की जिन श्रेणियों का उल्लेख किया गया है वह अत्यंत ही आपत्तिजनक था। जिसमें भाड़े का हत्यारा, वेश्यावृत्ति, दलाली, चोरी—चकारी, शराब तस्करी, अवैध दवा विक्रेता आदि—आदि अनेक ऐसे शब्द लिखे गए थे जिन्हें कोई भी व्यक्ति व्यवसाय नहीं मान सकता है।
हमने अपने समाचार में साफ सवाल किया था कि उत्तराखंड का शासन प्रशासन क्या कांट्रेक्ट किलिंग और वेश्यावृत्ति के धंधे तथा अवैध दवाओं की बिक्री और शराब तस्करी को अगर व्यवसाय मानता है तो इन्हें व्यवसाय की संज्ञा दे और इन अनैतिक कामों में लगे लोगों के खिलाफ की जाने वाली कानूनी कार्यवाही पर रोक लगाये तथा इन्हें व्यवसाय मान कर इन्हें कानूनी संरक्षण प्रदान करें। इस खबर के बाद शासन प्रशासन की नींद टूटी और उसने इसको खंगाला तथा तमाम आपत्तिजनक शब्दों को आनन—फानन में हटा दिया गया। लेकिन एक सवाल अभी भी बाकी है आखिर ऐसा हुआ तो किसकी लापरवाही के कारण हुआ ऐसे आंख के अंधे और ड्यूटी के प्रति लापरवाह लोगों के खिलाफ सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए यह लोग कैसे सरकारी सेवाओं में पहुंच गए जिनका ज्ञान इस स्तर का है और उन्हें व्यवसाय की श्रेणियों के बारे में इतनी अच्छी जानकारी है।

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