सड़कों की बदहाल स्थिति

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यह सच है कि इस झमाझम बारिश के दौर में सड़कों के निर्माण का काम संभव नहीं है लेकिन सूबे की राजधानी देहरादून सहित पूरे राज्य में सड़कों की जो खस्ताहाली है वह लोगों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है। बीते कल राजधानी के तमाम व्यापारी और आम लोग डीएम की जन सुनवाई अदालत में अपनी समस्याओं को लेकर पहुंचे। नवनियुक्त जिलाधिकारी सोनिका ने भी उनकी शिकायत को गंभीरता से लेते हुए सड़कों को तुरंत गड्ढा मुक्त करने के आदेश अधिकारियों को दे दिए गए हैं। दरअसल राजधानी में जब से स्मार्ट सिटी का काम शुरू हुआ है तब से शहर बदहाली की मार झेल रहा है अभी चंद दिन पूर्व सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दून के डीएम और एसएसपी दोनों को बदल दिया था। उसका सबसे अहम कारण यही था कि लोगों की शिकायतों के बाद भी जिला प्रशासन स्थिति को सुधार नहीं पा रहा था। सोनिका के सामने भी यह बड़ी चुनौती है कि जन सुविधाओं की स्थिति में कैसे सुधार करें। उन्होंने हालांकि बड़े ही सख्त लहजे में कहा है कि लोगों की शिकायतें एक बार में ही दूर की जाए और कोई शिकायत दोबारा नहीं आनी चाहिए। दरअसल स्मार्ट सिटी के काम जिस रफ्तार से चल रहे हैं और उनकी गुणवत्ता खराब होने के कारण एक—एक काम को कई—कई बार करना पड़ रहा है, के कारण समस्या बजाए कम होने के और अधिक बढ़ती ही जा रही है उदाहरण के तौर पर अगर पलटन बाजार के काम को ही लिया जाए तो बस एक बाजार का काम ढाई तीन साल में भी पूरा नहीं हो पाया है अभी भी इन अव्यवस्थाओं के कारण व्यापारियों को भारी परेशानी हो रही है। उनकी दुकानों में बारिश का पानी घुस रहा है। दरअसल सड़कों को बार—बार खोदे जाने के कारण उनकी मरम्मत का काम भी मुश्किल हो रहा है अगर गड्ढे भर भी जाते हैं तो वह सड़क से भी ऊंचे हो जाते हैं या फिर नीचे हो जाते हैं। इन पर वाहनों का हिचकोले खाना स्वाभाविक ही है पूरे ईसी रोड पर सीवर के लिए खोदी गई सड़क को भरा तो गया है लेकिन वह सड़क के लेबल में नहीं है। पूरे सुभाष रोड पर सीवर के गटर के गड्ढे इतने नीचे है कि अगर जरा सी लापरवाही हो तो खड्डे में पहिया कूदना तय है। यह तो सिर्फ उदाहरण भर है पूरे राजधानी की सड़कें बुरी तरह से उबड़—खाबड़ हो चुकी है जिन पर कोई भी वाहन चलना आसान नहीं रह गया। तेज बारिश के कारण जो सड़कों पर गड्ढे बन गए हैं वह अलग मुसीबत बने हुए हैं। बारिश के दौरान जलभराव के समय तो इन सड़कों पर चलना जान के साथ खिलवाड़ करने जैसा ही बना हुआ है। सरकारी विभागों में तालमेल के अभाव के कारण कोई काम ठीक से नहीं हो पा रहा है। देखना है कि डीएम सोनिका की हिदायतों का अधिकारियों पर कितना असर होता है।

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