दूरदर्शिता पूर्ण जवाब

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पहलगाम में हुए आतंकी हमले के 15वें दिन बाद भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान पर जवाबी कार्यवाही करते हुए अलग—अलग नौ स्थानों पर मिसाइलों से हमला कर आतंकियों के उन ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया गया है जहां से उन्हें ट्रेनिंग दी जाती थी। भारतीय सेना ने इस हमले में किसी भी सुरक्षा प्रतिष्ठान और सिविल एरिया को टारगेट नहीं किया गया है उनके निशाने पर सिर्फ और सिर्फ आतंकी कैंप ही रहे हैं। बीती देर रात भारत द्वारा की गई इस कार्यवाही से आतंकी कैंपों और आतंकियों को कितना नुकसान पहुंचा है इसकी कोई पुष्ट जानकारी नहीं मिली है लेकिन नुकसान बड़ा हुआ है ऐसा माना जा रहा है। यह हमला कोई अप्रत्याशित हमला नहीं है इसकी घोषणा भारत ने तभी कर दी थी जब पहलगाम में नरसंहार किया गया था। भारत तभी से हमले की तैयारियों में जुटा था। इस बात को पाकिस्तानी हुकूमत व सेना के साथ आतंकी संगठन भी जानते थे। यह बात अलग है कि उन्हें इतने बड़े हमले का शायद अंदाजा न हो। भारत अब पाकिस्तान की तरफ से की जाने वाली किसी भी तरह की कार्यवाही का जवाब देने के लिए भी तैयार है। इसे लेकर भी पाकिस्तान को कोई मुगालता नहीं होना चाहिए। पाकिस्तान को अब यह बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए कि विभाजन के बाद से लेकर अब तक वह जिस आतंकवाद को एक बड़े हथियार के तौर पर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करता रहा है उसकी बड़ी कीमत अब पाक और आतंकी संगठनों को चुकानी ही पड़ेगी। पुलवामा में आतंकी हमले के जवाब में की गई भारत की एयर स्ट्राइक और अब पहलगाम की आतंकी हमले की घटना का जवाब जिस तरह से भारत द्वारा दिया गया है वह यह बताने के लिए काफी है कि आतंकवाद के सहारे उसके द्वारा भारत के खिलाफ जो छ्दम युद्ध लड़ा जाता रहा है उसका जवाब अब भारत उसके घर में घुसकर मारने से ही देगा। देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ जितने भी युद्ध लड़े है हर बार उसे मुंह की खानी पड़ी है। 1971 के युद्ध से लेकर कारगिल में घुसपैठ के बाद लड़े गए युद्ध तक वह भारत का कुछ नहीं बिगाड़ सका है। हमेशा उसने शर्मनाक हार और बड़ा नुकसान ही झेला है। पाकिस्तान भारत का मुकाबला करने की क्षमता नहीं रखता है इस सच को पूरा पाकिस्तान जनता समझता है। यही कारण है कि आतंकवाद की आड़ लेकर वह भारत के विरुद्ध छ्दम युद्ध लड़ता रहा है लेकिन अब इसे भारत कतई भी बर्दाश्त नहीं करेगा इसका खुल्लम खुल्ला ऐलान भारत कर चुका है चाहे इसके लिए उसे किसी भी हद तक जाना पड़े। भारत पाक से कुछ भी छिनना नहीं चाहता है न किसी युद्ध के पीछे उसकी साम्राज्यवादी सोच रही है। अगर ऐसा रहा होता तो आज का बांग्लादेश और पीओके तथा बलुचिस्तान भारत का हिस्सा बन चुका होता। विश्व के तमाम देश इस सच को जानते हैं कि पाकिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल आतंकवादियों की शरण स्थली के तौर पर किया जाता है तथा इस आतंकवाद का दंश भारत अकेले नहीं बल्कि अमेरिका सहित विश्व के तमाम मुल्क भुगत रहे हैं। पाकिस्तान अगर यह मांने बैठा है कि भारत जो आतंकवाद के खिलाफ यह लड़ाई लड़ रहा है उसके खिलाफ कोई विश्व राष्ट्र उसके साथ खड़ा होगा तो यह उसका मुगालता ही होगा। पाकिस्तान को बचाने के लिए कोई भी देश नहीं आएगा। अब पाक को ही यह तय करना है कि वह अपनी आतंक परस्ती के साथ ही अपना अस्तित्व बनाए रखना चाहता है या फिर आतंकवाद का रास्ता छोड़कर सद्भाव के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहता है। पाक के हुक्मरानों को अगर यह समझ नहीं आ रहा है तो उसे अपने देश में इस सवाल पर जनमत संग्रह करा लेना चाहिए उसकी मुश्किल आसान हो जाएगी।

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