आखिर इस देश की राजनीति किस दिशा में जा रही है? यह सवाल देश के राजनीतिक पंडितो ही नहीं अपितु देश के आम आदमी के मन को भी मथ रहा है। आमतौर पर इस कालखंड की कुछ अहम खबरों पर नजर डालें और उनके नितार्थ को समझने की कोशिश करें तो ऐसा लगता है कि देश के राजनीतिक फलक पर कुछ बड़ा घटित होने वाला है। अभी हाल ही में सरकार द्वारा लाये गए वक्फ बिल को लेकर देश भर में बवाल मचा हुआ है। तथा पश्चिम बंगाल हिंसा की आग में जल रहा है वहीं दूसरी ओर इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में दी गई तमाम चुनौतियों और याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। जिसे लेकर केंद्रीय कानून मंत्री सुप्रीम कोर्ट या न्यायपालिका को यह हिदायत दे चुके हैं कि उसे कार्यपालिका के अधिकारों में दखल नहीं देना चाहिए। न्यायपालिका जिसे किसी भी सरकार के संवैधानिक फैसलों की समीक्षा का अधिकार है ऐसी स्थिति ठीक नहीं है। उधर बिहार चुनाव से पूर्व एक बार फिर नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी द्वारा सोनिया और राहुल गांधी के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई को लेकर भी यह चर्चाए आम है कि उनकी इस मामले में गिरफ्तारी कभी भी की जा सकती है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेसी भी इन दिनों सड़कों पर उतरे हुए हैं। राहुल गांधी का कहना है कि उन्हें जेल जाने का कोई डर नहीं लेकिन कभी जब उनका वक्त आएगा तो वह भी किसी को बख्शने वाले नहीं है। इन तमाम घटनाओं के बीच वक्फ बिल को लेकर सरकार के सहयोगी दलों में बेचैनी भी सरकार के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है। इस बीच बीते कल बुधवार को कैबिनेट मंत्रियों के साथ होने वाली बैठक का टाला जाना तथा शनिवार को पीएम की प्रस्तावित जम्मू कश्मीर दौरे को स्थगित किया जाना और प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्रपति से मिलना आदि कुछ ऐसी घटनाएं हैं जो इस बात का संकेत देती है कि सरकार और राष्ट्रीय राजनीति के स्तर पर कुछ बड़ा होने वाला है। इन दिनों राजनीति में डराने धमकाने की जो राजनीति हो रही है उसके पीछे कुछ तो कारण है पक्ष विपक्ष के नेताओं द्वारा ही यह काम नहीं किया जा रहा है कार्यपालिका और न्यायपालिका तक कुछ ऐसा ही हो रहा है। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि सरकार को अब अपनी सत्ता खिसकती दिख रही है इसे लेकर वह कोई ऐसा फैसला भी कर सकती है जिसकी किसी को भी उम्मीद न हो। एक और खबर इस बीच आ रही है कि गृह मंत्रालय के सारे कार्यक्रम एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिए गए हैं। केंद्र सरकार के किसी भी फैसले की कोई अधिकृत जानकारी तो दी नहीं जाती है न उसके पीछे के कारणों के बारे में कोई सवाल किया जा सकता है। उधर अखिलेश यादव को भी जान से मारने की धमकी मिल रही है जिसके लिए उन्होंने गृह मंत्रालय से सुरक्षा की मांग की है। कुल मिलाकर स्थिति गंभीर है लेकिन क्या होने वाला है इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है। लेकिन यह सब बेवजह भी नहीं है।