बीते कल प्रयागराज महाकुंभ में हुई अग्निकांड की घटना में किसी तरह का कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, यह अत्यंत ही राहतदेय खबर है। आवासीय क्षेत्र में इस आग लगने की जब खबर आई तो उसकी तस्वीरों को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि इसमें बहुत व्यापक स्तर पर जान—माल का नुकसान हुआ होगा। महाकुंभ के सेक्टर—19 में लगी इस आग में अगर 200 के आसपास टेंट की झोपड़ियंा (आवास) जल गए और विस्फोट के कारण रसोई गैस सिलेंडर फटता तो उससे साफ समझा जा सकता है कि हादसा कितना व्यापक हो सकता था। लेकिन इतने बड़े हादसे के बाद भी किसी एक व्यक्ति की भी जान न जाना सुखद एहसास जरूर है। थोड़ा बहुत नुकसान आर्थिक तौर पर जरूर हुआ है लेकिन इतने बड़े हादसे के बाद नुकसान और अपूरक भी हो सकता था। गीता प्रेस का टेंट भी इस हादसे की जद में आ गया जिससे यहां रखें धार्मिक पुस्तकों के 180 कॉटेज भी इस आग में जलकर राख हो गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जो कल इस आयोजन के द्वितीय अमृत स्नान की तैयारियों का जायजा लेने गए हुए थे वह भी दुर्घटना के समय मौजूद थे जो खुद मौके पर भी पहुंचे और जल्द से जल्द सभी स्थितियों को यथावत करने के निर्देश दिए इस घटना को सामान्य घटना की तरह नहीं लिया जाना चाहिए निश्चित ही एक बड़ी अनहोनी कल जरूर टल गई है लेकिन किसी भव्य धार्मिक आयोजन के समय कितना अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत होती है इसे भी रेखांकित करता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगर मेला क्षेत्र में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध नहीं किए गए होते तो इसके भयंकर दुष्परिणाम हो सकते थे।। आमतौर पर जब भी बड़े धार्मिक आयोजनों में कोई हादसा होता है तो सुरक्षा के पर्याप्त सुरक्षा प्रबंध न होना ही इसका पहला कारण रहता है। अभी बीते साल उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक सत्संग में मची भगदड़ में 123 लोगों की जान चली गई थी। इस सत्संग में लोगों की अत्यधिक भीड़ का जुटना तथा प्रबंधकों द्वारा पर्याप्त सुरक्षा प्रबंध न किया जाना ही इसका प्रमुख कारण था। 2022 में मां वैष्णो देवी मंदिर में भगदड़ के कारण 12 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। 2008 में राजस्थान के जोधपुर में चार मुंडा देवी मंदिर में मची भगदड़ में 250 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। ठीक उसी तरह 2005 में महाराष्ट्र के सतारा में मची भगदड़ में 340 लोगों की जान चली गई। धार्मिक आयोजनों में इस तरह के हादसों का एक लंबा इतिहास है जिससे सबक लेने की जरूरत है बात अगर महाकुंभ जैसे दिव्य और भव्य आयोजनों की की जाए तो जहां हर रोज करोड़ों की संख्या में लोगों की मौजूदगी हो तो ऐसे आयोजनों की सुरक्षा व्यवस्था की चुनौती और भी अधिक बड़ी हो जाती है। अभी इस प्रयागराज महाकुंभ का पहला ही अमृत स्नान हुआ महीने भर से अधिक समय तक चलने वाले इस आयोजन के प्रारंभिक दौर में हुई यह घटना शासन प्रशासन को और भी अधिक सर्तक करने वाली है। क्योंकि महाकुंभ का अभी लंबा सफर शेष है। अराजक तत्वों के मेले में प्रवेश को रोकने तथा अफवाहों के कारण भगदड़ मचने जैसी घटनाओं के अलावा अन्य तमाम सुरक्षा प्रबंधों को लेकर आगे और भी अधिक सावधानी बरती जानी चाहिए ताकि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके।





