आशाओं के दीप जलाएं

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वर्तमान के इस परिवर्तन काल में बड़ी तेजी से हमारी परंपराएं व रीति रिवाज, धार्मिक मान्यताएं तथा सोच मेंं बदलाव हो रहा है। आपा धापी के इस जीवन में आदमी के पास यह सोचने का भी समय नहीं बचा है कि वह जा किधर रहा है, उसे चाहिए क्या, उसकी मंजिल कहां है और उस तक पहुंचने का सही रास्ता क्या है? बस भौतिकवाद की एक अंधी दौड़ है जिसमें मुट्ठी बांधे सब बस दौड़ते जा रहे हैं। तमाम सामाजिक और राजनीतिक एवं आर्थिक विसंगतियों के बीच आम आदमी का जीवन एक ऐसा तमाशा बन गया है जिसे वह खुद भी नहीं समझ पा रहा है। आज दीप पर्व है यानी दियो का त्यौहार। हर घर गली मोहल्ले और देश भर में मनाये जाने वाले इस पर्व का अर्थ है अंधकार का विनाश और ज्ञान के प्रकाश का आह्वान। दीपक का स्वभाव समझे बिना हम दिवाली का अर्थ नहीं समझ सकते हैं। दीपक स्वयं जलकर सभी को उजालों का मार्ग प्रशस्त करता है। धरती पर रहने वाला प्रत्येक मनुष्य अगर सभी की शुभता का भाव मन में रखे तो इस धरा से ईर्ष्या, द्वेष भाव का विनाश संभव है ट्टया देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिरा, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः, सभी का कल्याण हो तथा सभी सुखी और समृद्ध हो हम मां लक्ष्मी से ऐसी कामना करते हैं। लेकिन आचरण में ऐसा होता नहीं है। स्वार्थो का अंधकार आज के वर्तमान में इतना अधिक घना हो चुका है कि सब कुछ सिर्फ मेरे लिए ही हो जो मेरे पास हो वह अन्य किसी के भी पास न हो एक समय था जब लोग इतने गरीब हुआ करते थे कि उनके पास दिवाली पर माटी के दिए खरीदने और पूजा के लिए जरूरी खील बतासे खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। लेकिन तब पड़ोसी पड़ोसियों की सोच भी ऐसी होती थी कि वह दीपावली पर उनके लिए सभी जरूरी सामान उनके घर तक पहुंचा देते थे जिससे इस खुशियों के त्यौहार को वह खुशी से बना सके। लेकिन अब वैसा समय नहीं रहा है। अब लोग अपने घरों में सोने चांदी की मूर्तियों से लक्ष्मी पूजन करते हैं और मिटृी के दीयों की जगह उनके घर एलईडी लाइटों की लड़ियों से जगमगा रहे होते हैं लेकिन उनके पड़ोसी की दिवाली कैसे मन रही है इससे अब किसी को कोई सरोकार नहीं रहा है। दीपावली आशाओं का पर्व है। भले ही आपकी स्थितियां परिस्थितियों चाहे जो भी रही हो लेकिन इस दीपोस्तव पर आपको आशाओं का एक दीप जरूर जलाना चाहिए। इस उम्मीद के साथ कि चाहे वह देश के सामाजिक और राजनीतिक हालात हो या आर्थिक। एक दिन आपके द्वारा जलाया गया एक दिया प्रकाश का मार्ग प्रशस्त जरूर करेगा। इस दिवाली पर संकल्प लें और प्रार्थना करें कि मां लक्ष्मी जिसे चंचला भी कहा जाता है उनके घरों तक पधारे जो गरीब है। उनके संभाव से सभी प्राणियों पर कृपा बरसे। सभी नवग्रहो और ब्रह्म कांड से प्रार्थना करें जिसमें समस्त दिव्य शक्तियों का वास है कि इस दिवाली पर समस्त दैवीय शक्तियों की कृपा भारत की इस धरा पर कहीं अंधेरा ना रहे। आपकी इच्छा शक्ति से आपका और समस्त मानव समाज का कल्याण संभव है। अगर इस भाव और भावना के साथ आप इस दीपावली का पर्व मनाते हैं तो निश्चित है यह कल्याणकारी होगा।

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