नेता विपक्ष राहुल गांधी इन दिनों चार दिवसीय यात्रा पर अमेरिका गए हुए हैं। यहां उनके अनेक कार्यक्रम है जिनमें वह अंतरराष्ट्रीय मीडिया के साथ सवाल जवाब से लेकर विश्वविघालयों के छात्रों के साथ संवाद कर रहे हैं। इन सवालों में भारत की राजनीति और सामाजिक तथा आर्थिक स्थितियों से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर राहुल गांधी अपनी बेबाक राय रख रहे हैं। भले ही राहुल गांधी द्वारा अपनी इस यात्रा के दौरान ऐसी एक भी कोई नई बात नहीं कही गई है जो उनके द्वारा लोकसभा चुनाव से लेकर नेता विपक्ष बनने तक यहां न कही गई हो लेकिन भाजपा का मीडिया सेल और उसके नेता उनके द्वारा कही जाने वाली बातों को लेकर कई तरह की आपत्तियां तो जता ही चुके हैं साथ ही उन पर विदेश में भारत की बदनामी करने और छवि खराब करने को लेकर उन पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाये जाने की बात तक कर रहे हैं। राहुल गांधी के स्वदेश लौटने के बाद सत्ता पक्ष के लोग उनके खिलाफ क्या कुछ करेंगे? या क्या कुछ कर पाते हैं यह तो समय ही बताएगा। लेकिन राहुल गांधी अब भाजपा के लिए एक ऐसी चुनौती जरूर बन चुके हैं जिन्हें रोक पाना भाजपा की सरकार और नेताओं के लिए मुश्किल हो चुका है। राहुल गांधी जो यहां कहते थे कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के लिए मोदी के नाम का जो तिलस्म था वह टूट चुका है। उनका कहना है कि बीते 10 सालों में सरकार ने लोकतंत्र को खत्म करने का काम तथा देश की तमाम स्वायत्त संस्थाओं को और मीडिया को कैप्चर कर लिया था। जो वह यहां कहते आए थे वहीं अमेरिका में भी कह रहे हैं। उनका यह कहना कि 2024 के चुनाव में लेबल प्लेइंग फील्ड नहीं था तथा चुनाव आयोग सरकार के पक्ष में काम कर रहा था अन्यथा नतीजे कुछ और होते यह भी कोई नई बात नहीं है। आरक्षण के मुद्दे पर राहुल गांधी ने वही कहा है उनका साफ कहना है कि दलित एससी—एसटी और आदिवासियों तथा गरीब अपर कास्ट को सरकारी सुविधाओं व आरक्षण का लाभ मिल सके इसलिए वह देश में कास्ट सेंस की बात कह रहे हैं और देश के लोगों को उनकी बात ठीक लग रही है। लेकिन राहुल गांधी के इन भाषणों व वक्तव्यों के कुछ अंशाें को लेकर यह प्रचारित किया जा रहा है कि वह आरक्षण समाप्त करने की बात कह रहे हैं। दरअसल राहुल की कोई बात भाजपा के नेताओं को इसलिए भी पसंद नहीं आ पा रही है क्योंकि उन्होंने विदेशों में भारत का डंका बजाने और यह डंका मोदी द्वारा बजाए जाने का इतना प्रचार कर दिया है कि उन्हें लगता है कि राहुल गांधी विदेश में भी मोदी की छवि को तोड़ने का काम कर रहे हैं। राहुल का यह कहना कि भारत और अमेरिका में बेरोजगारी इसलिए है क्योंकि यहां मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में काम नहीं हो रहा है और चीन में इसलिए बेरोजगारी नहीं है कि चीन में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टरों का आधारभूत मजबूत ढांचा बना लिया गया है। अगर राहुल के इस बयान को लोग चीन का गुणगान करना मानते हैं तो माने, लेकिन सच वही है जो राहुल ने कहा है। रही बात विदेश में भारत की बदनामी की तो इस डिजिटल युग में सच को किसी भी तरह छुपाया नहीं जा सकता है। राहुल का यह बेबाक और सच कहने का अंदाज ही है जो भाजपा के लिए मुश्किल का सबब बना हुआ है।