चंडीगढ़ में भी हो गया खेला

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क्या देश से लोकतंत्र खत्म होने जा रहा है? अगर आज यह सवाल उठा रहा है तो इसकी वजह क्या है? कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि 2024 का लोकसभा चुनाव देश में होने वाला आखिरी चुनाव है। अगर इसके बाद देश में कोई चुनाव नहीं होगा तो इसका सीधा अर्थ है कि देश से लोकतंत्र खत्म। क्योंकि चुनाव ही लोकतंत्र की आत्मा है। अकेले खड़गे ही नहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री भी ऐसा ही कुछ कह रहे हैं भले ही उनके शब्द कुछ अलग हो, उनका कहना है कि भाजपा सत्ता में बने रहने के लिए कुछ भी कर सकती है। वह चुनाव हार भी गई तब भी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की तरह सत्ता न छोड़ने जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। बीते कल चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में जो कुछ हुआ अब उसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। खास बात यह है कि चुनाव को चुराने की यह घटना सीसीटीवी में कैद हो चुकी है। भाजपा ने अपने पार्टी के एक नेता को प्रोसाइंडिंग ऑफिसर नियुक्त कर इस प्रत्यक्ष तौर पर हारे हुए चुनाव को भाजपा की जीत में तब्दील किया उसे देख कर हर कोई हैरान है। विपक्ष के 20 में से 8 मतों को अमान्य घोषित कर भाजपा के प्रत्याशी के जीत की घोषणा का यह मामला एक बार फिर न्यायालय में पहुंच गया है। इससे पहले जब इन्ही भाजपा के पदाधिकारी प्रोसाइडिंग ऑफिसर ने बीमारी का बहाना बनाकर चुनाव टाल दिया था तो कांग्रेस व आप के नेता न्यायालय की शरण में गए थे जिस पर न्यायालय ने निष्पक्ष शांतिपूर्ण चुनाव कराने के आदेश दिए थे, जिसके बाद यह चुनाव हुआ। बीते कुछ सालों से चंडीगढ़ मेयर व डिप्टी मेयर के पदों पर भाजपा का कब्जा था लेकिन इस बार आप और कांग्रेस के गठबंधन के कारण जब हार सुनिश्चित दिखाई दी तो यह खेला कर दिया गया। सवाल यह है कि क्या राजनीति का मतलब भाजपा के लिए सिर्फ सत्ता हथियाना ही हो गया है वह भले ही किसी भी तरह से हासिल की जाए। अरविंद केजरीवाल का कहना है कि 79 साल पहले 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या की गई थी और आज भाजपा ने 30 जनवरी को लोकतंत्र की हत्या कर दी है। उनका साफ कहना है कि देश की स्वायत्त संस्थानों पर सत्ता का कब्जा हो चुका है। देश का निर्वाचन आयोग हो या फिर सीबीआई और ईडी सब सत्ता के कब्जे में है। निर्वाचन आयुक्त का चुनाव प्रधानमंत्री करेंगे और प्रोसिडिंग अफसर का भाजपा के पदाधिकारी, तो अब आप किस तरह के लोकतंत्र की कल्पना कर सकते हैं। चंडीगढ़ की घटना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है किसी भी चुनाव में जिसमें सिर्फ 36 मतदाता हो और विपक्ष के बीस में से 8 यानी 40 प्रतिशत वोटो को अवैध या अमान्य भला कैसे किया जा सकता है जबकि पिछले चुनाव में सिर्फ एक वोट अमान्य हुआ था। चुनाव की चोरी करने वाले इसे अपनी बड़ी राजनीतिक जीत बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब 36 वोटों वाले चुनाव में इस तरह की धांधली भाजपा कर सकती है तो जिस चुनाव में 90 करोड़ मतदाता हो वहां बीजेपी कितना बड़ा खेला कर सकती है? उन्होंने मीडिया व देश के लोगों से भी अपील की है कि अगर लोकतंत्र बचाना है तो उन्हें आगे आना चाहिए। इस घटना को लेकर पूरे देश में हंगामा मचा हुआ है। अब सभी की निगाहें सिर्फ न्यायपालिका पर लगी हुई है कि वह लोकतंत्र की हिफाजत के लिए क्या पहल करती है।

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