कानून व्यवस्था पर सवाल

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सूबे की कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार दो ऐसे मुद्दे हैं जो धामी सरकार के लिए गंभीर चुनौती बने हुए हैं। राजधानी दून सहित पूरे प्रदेश में बढ़ते अपराध इस बात की गवाही दे रहे हैं कि अपराधियों को न तो पुलिस का खौफ है और न कानून का कोई डर है। बीते कल पुलिस लाइन में एक हेड कांस्टेबल द्वारा पुलिस अधिकारियों से अभद्रता करने और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पर हमला करने की वारदात यह बताने के लिए काफी है कि उत्तराखंड की मित्र पुलिस के अंदर अनुशासन की क्या स्थिति है? अगर एक कांस्टेबल तमाम पुलिस अफसरों की मौजूदगी में एसएसपी पर हमला कर देता है तो ऐसा व्यक्ति वर्दी पहनकर आम आदमी के साथ किस तरह का व्यवहार कर सकता है यह एक विचारणीय सवाल है। भले ही अब एसएसपी ने उसे सस्पेंड कर दिया हो या फिर उसके खिलाफ जांच बैठा दी गई हो अथवा उसे जेल भेज दिया गया हो लेकिन जो पुलिस आम आदमी को अनुशासित रखने का काम करती है उसी पुलिस में ऐसे अनुशासनहीनं और आपराधिक प्रवृत्ति के लोग शामिल हो तो फिर उस पुलिस का राम ही मालिक है। अभी बीते दिनों राष्ट्रपति द्रोपती मुर्मू के दून दौरे के समय जब राजधानी की पूरी पुलिस फोर्स अलर्ट मोड पर थी राजपुर रोड स्थित ज्वेलरी शोरूम में दिनदहाड़े करोड़ की डकैती हो गई जिसे लेकर सूबे की पुलिसिंग और कानून व्यवस्था पर तमाम तरह के सवाल उठे थे। राजधानी और राज्य में हत्याओं तथा लूटपाट के साथ—साथ महिला अपराधों की जिस तरह से बाढ़ आई हुई है वह राज्य सरकार और पुलिस की असफलता की कहानी बताने के लिए काफी है। बीते कल खटीमा के एक मंदिर में बदमाशों ने महंत और उसके एक शिष्य की हत्या कर दान पात्र की नगदी लूट ली गई वहीं ऋषिकेश में एक विदेशी महिला का शव होटल में फांसी के फंदे पर लटका मिला। जौलीग्रांट में एक लड़की पर तेजाब फेंकने की घटना भी सामने आई एक नहीं न जाने कितनी ऐसी आपराधिक वारदातें हर रोज अखबारों की सुर्खियों में रहती हैं। अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद उत्तरकाशी के एक होम स्टे में युवती की मौत जैसे मामलों को लेकर आम जनता सड़कों पर है। वहीं आर्थिक अपराध और भ्रष्टाचार के भी तमाम मामलों ने तूल पकड़ रखा है। ताजा मामला प्रधानमंत्री सिंचाई योजना में हुए घोटाले का है जिसे लेकर अब कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी से लेकर अन्य तमाम विभागीय कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है। सवाल यह है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली सरकार अभी तक कुछ ऐसा क्यों नहीं कर पा रही है जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके। भर्ती घोटाले के दोषियों को जेल भेज दिया उसकी संपत्तियां भी कुर्क कराई गई मगर भर्ती घोटाले फिर भी जारी रहे। जमीनों के फर्जीवाड़ो के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की, रजिस्ट्री और कागजों में हेरा फेरी करने वालों को जेल भेजा गया लेकिन जमीनों का फर्जीवाड़ा जारी है। नगर निगम दून में प्रशासक नियुत्तिQ के बाद जांच में पता चल रहा है कि नगर निगम के सफाई कर्मचारी तो बिना काम किया ही वेतन ले रहे हैं और हाजिरी रजिस्टर में उपस्थितियां दिखाकर गैर हाजिर कर्मचारी मौज कर रहे हैं। कूड़ा उठान का काम आधे वार्ड में भी सही ढंग से संचालित नहीं किया जा रहा है। सवाल यह है कि सीएम धामी भ्रष्टाचार पर जब अपनी सख्त कार्यवाही की बात करते हैं तो कहते हैं कि अब गलत काम करने वाले 100 बार सोचेंगे लेकिन वह तो एक बार भी नहीं सोच रहे हैं। कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार को रोकने में उनकी सरकार पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी राज्य में अभी तक लोकायुक्त की नियुक्ति सरकार नहीं कर सकी है। इन अपराधों और भ्रष्टाचार के मामलों से परेशान जनता में क्या संदेश जा रहा है और चुनाव पर इसका क्या असर पड़ेगा सरकार को इस पर विचार करने की जरूरत है।

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