सफलता तय, इंतजार की घड़ियां बढ़ी

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सिलक्यारा टनल में फंसी 41 जिंदगियों को बचाने की जद्दोजहद बीते 12 दिनों से जारी है। दीपावली की रात सुबह के 4 बजे अचानक सुरंग का एक हिस्सा ढहने से अंदर 41 लोग फंस गए थे प्रारंभिक दौर में यह माना जा रहा था कि सुरंग में जो मलवा भरा है उसे हटाकर आसानी से एक—दो दिन में इन श्रमिकों को बाहर निकाल लिया जाएगा लेकिन जब मलवा बाहर निकालने का काम शुरू हुआ तो पहाड़ से और ज्यादा मलवा सुरंग में आने लगा जिसके कारण रेस्क्यू का काम रोकना पड़ा। लेकिन अब इस हादसे को हुए 12 दिन हो चुके हैं। प्लान ए से शुरू किया गया यह रेस्क्यू अभियान एक के बाद एक ऐसी जटिल और मुश्किलों भरी स्थितियां तक जा पहुंचा है कि राज्य से लेकर केंद्र सरकार द्वारा भी अपनी पूरी ताकत और संसाधनों को झौंक दिया गया है लेकिन सफलता अभी तक हाथ नहीं लगी है। इसके लिए विदेश तक के विशेषज्ञ दुर्घटना स्थल तक पहुंच चुके हैं तथा एक साथ 5—6 विकल्पों पर काम किया जा रहा है युद्ध स्तर पर चल रहे बचाव राहत कार्य के बीच प्लान बी जिसके तहत सुरंग में भरे मलवे से आगर मशीन की सहायता से 900 एमएम के पाइप बिछाने का काम जब 22—23 मीटर की ड्रिलिंग के बाद रुक गया था तब फिर इस पाइप के अंदर 800 एमएम के पाइप की ड्रिलिंग का काम शुरू किया गया था, 5 दिन बाद शुरू हुई इस योजना के तहत बीते दो दिनों में अप्रत्याशित रूप से प्रगति हुई और यह पाइप लगभग 48 मीटर तक पहुंचा दिए गए। इसी बीच एक अन्य 6 इंच के पाइप को मजदूर तक भेज कर उन्हें लाइफ सपोर्ट देने में भी सफलता मिल गई। उन तक भोजन, पानी और जरूरी सामान पहुंच सका तथा कैमरे के अंदर पहुंचने से उनके सुरक्षित होने की पुष्टि से बाहर काम में जुटे लोगों का हौसला भी बढ़ता गया। बीते कल शाम यह उम्मीद जताई जा रही थी कि जो 8—10 मीटर की दूरी शेष बची है उसे आसानी से पार कर लिया जाएगा और कुछ ही घंटे में यह सभी मजदूर बाहर आ जाएंगे। उनके बाहर आने पर क्या जरूरी होगा उसकी तैयारी भी पूरी थी लेकिन अचानक फिर एक बड़ी बाधा आयी और काम रुक गया। अंदर ऐसा क्या हुआ है जिसकी वजह से काम रुका है और अब आगे क्या कुछ किया जा रहा है इसकी कोई जानकारी किसी को नहीं दी जा रही है। सफलता के मुहाने पर पहुंचकर एक बार फिर इस दुनिया के सबसे बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन पर अनिश्चितता के बादल आ गए हैं। जिसे लेकर तरह—तरह की चर्चाएं भी स्वाभाविक है। लेकिन इन तमाम आशा निराशाओं के बीच अभी भी इस बात की संभावनाएं बनी हुई है कि यह मिशन जिंदगी अभियान किसी भी क्षण सफलता की सीमाओं तक पहुंच सकता है। लेकिन इस रुकावट ने परिजनों का जो लंबे समय से इस इंतजार में बैठे हैं कि कब उनके परिजन उनके आंखों के सामने होंगे तथा उन तमाम लोगों की जो दिन रात इस मिशन में जुटे हैं उनकी चिंताएं जरूर बढ़ा दी है। एक तरफ रेस्क्यू के प्रयास जारी हैं तो दूसरी ओर प्रार्थनाओं का दौर भी जारी है। देखना यह है कि इस इम्तिहान का परिणाम कब सामने आता है तथा इसके लिए अभी कितना इंतजार शेष है। लेकिन यह आवश्यक तय है कि मिशन जिंदगी कामयाब जरूर होकर रहेगा।

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