खेलों के विकास का बेहतरीन मौका

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उत्तराखंड को 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी करने का जो मौका मिला है वह वास्तव में एक बड़ी उपलब्धि और खुशी की बात है। यह खुशी और भी अधिक महत्वपूर्ण तब हो जाती है जब राज्य गठन की 23वीं वर्षगांठ के अवसर यानी 9 नवंबर 2023 को उसे आईओए का ध्वज सौंपने की तारीख तय की जाती है। इन दिनों गोवा में 37वें राष्ट्रीय खेल चल रहे हैं। उत्तराखंड के खिलाड़ियों का एक दल इन खेलों में राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए गया हुआ है। जिसका प्रदर्शन इस छोटे और पर्वतीय राज्य होने के लिहाज से अत्यंत ही सराहनीय रहा है बीते साल पदकों की सूची में उत्तराखंड 26वें स्थान पर रहा था लेकिन इस साल उत्तराखंड के खिलाड़ी जो अब तक तीन स्वर्ण और एक रजत वह नौ कांस्य पदको सहित 13 पदक जीत चुके हैं और उन्होंने अपने खेल स्तर में आशातीत सुधार किया है। बात अगर राज्य गठन से पूर्व की की जाए तो यहां खेल सुविधाओं का नितांत अभाव रहा है हालांकि अलग राज्य बनने के बाद भी इन खेल सुविधाओं में उतना सुधार नहीं हो सका है जितना होना चाहिए था। उत्तराखंड की जिन प्रतिभाओं ने खेल के मैदान में झंडे गाढ़े हैं वह अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर ही गाढ़े हैं, इसमें राज्य की सरकारों या खेल सुविधाओं का कोई योगदान नहीं रहा है। हरिद्वार की महिला हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया जिनका आज सभी मंचों से यशोगान हो रहा है वह खुद बताती है कि वह कैसे घरेलू मैदान पर खेलते खेलते यहां तक पहुंची हैं और उनके हाथ में हॉकी देखकर गली मोहल्ले के लड़के उनका मजाक उड़ाते थे। खैर अब वह समय पीछे छूट चुका है देर से ही सही राज्य सरकारों ने खेल और खिलाड़ियों पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अक्टूबर में उत्तराखंड दौरे पर आए थे तो उन्होंने राज्य में बनने वाले दो खेल स्टेडियमों का जिक्र किया था और उन खिलाड़ियों के सम्मान में फोन की फ्लैशलाइटे भी जलवाने का काम किया था। राज्य सरकार द्वारा भी अभी हाल ही में खिलाड़ियों का भोजन भत्ता बढ़ाने की घोषणा की गई थी तथा अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक विजेताओं को सीधे सरकारी नौकरी देने की व्यवस्था की जा रही है। उत्तराखंड राज्य में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। अगर जरूरत है तो उन्हें तलाशने और तराशने की। राज्य में सही मायने में अभी खेलों को प्रोत्साहन के लिए बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। आगामी एक साल में राज्य सरकार को खेल सुविधाओं में सुधार के लिए बहुत काम करना पड़ेगा क्योंकि राष्ट्रीय खेलों का आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए बड़े इंफ्रास्ट्रेक्चर की जरूरत होगी। इस लिहाज से भी राष्ट्रीय खेलों की यह मेजबानी का अवसर मिलना राज्य के लिए वरदान साबित होगा वहीं राष्ट्रीय खेलों का आयोजन अगर उत्तराखंड में होगा तो राज्य के खिलाड़ियों के सामने भी अपने गृह राज्य में और अधिक बेहतर प्रदर्शन करने का एक मनोवैज्ञानिक दबाव रहेगा। जहां तक राज्य में खेलों के विकास की संभावनाओं की बात है तो उसकी कोई कमी राज्य में नहीं है। उम्मीद की जानी चाहिए कि राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी का यह मौका राज्य में खेलों के विकास का नए युग की शुरुआत साबित होगा जिससे राज्य व खिलाड़ी दोनों लाभान्वित होंगे।

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