जब एक आम आदमी किसी चिकित्सक के पास अपनी बीमारी से निजात पाने की उम्मीद लेकर जाता है और वह डॉक्टर, डॉक्टर न होकर ठग हो जो फर्जी डिग्री लेकर डॉक्टर की नौकरी कर रहा हो तो उससे आप क्या उम्मीद कर सकते हैं? आपका बीमार परिजन ठीक होकर लौटे यह तो बहुत मुश्किल बात है अगर वह जिंदा घर लौट आए तो इसे आप अपनी अच्छी किस्मत मान सकते हैं। वैसे ही जब आप किसी दवा की दुकान से दवा खरीदने जाते हैं तो यही उम्मीद करते हैं कि उसे दवा के खाने से आपका परिजन स्वस्थ हो जाएगा लेकिन जब आपका परिजन उस दवा से स्वस्थ्य होने के बजाय उसकी हालात और खराब हो जाए क्योंकि आपको जो दवा मिली है वह तो नकली थी? ऐसी स्थितियों में हर कोई अपने आपको ठगा सा महसूस ही करेगा। स्वास्थ्य विभाग और शासन प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह जन स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसे अराजक तत्वों पर शिकंजा कसे और उन्हें कठोर सजा दिलाए। जो अपने निजी स्वार्थ के लिए जन स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। चंद पैसे या शॉर्टकट तरीके से रातों-रात अमीर बनने की ख्वाहिश रखने वाले ऐसे समाज के दुश्मनों को कतई भी बक्शा नहीं जाना चाहिए। अभी-अभी उत्तराखंड के हरिद्वार में दून पुलिस द्वारा एक नकली दवा फैक्ट्री को पकड़ने का काम किया गया। देश में नकली दवा फैक्ट्री का पकड़ा जाना कोई विशेष खबर नहीं कहीं जा सकती है लेकिन यह खबर इसलिए विशेष हो गई क्योंकि इस फैक्ट्री को कोरोना काल के दो मेडिकल क्षेत्र में काम करने या नौकरी करने वालों ने चलाया। सिर्फ दो-तीन साल में न सिर्फ करोड़ों के वारे न्यारे कर दिए गए बल्कि अपने कारोबार को दिल्ली, यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल तक 44 स्थानों पर नकली दवाओ की सप्लाई को विस्तार दिया जा चुका था। खैर अब उनके पूरे नेटवर्क का खुलासा हो चुका है इनकी निशान देही पर दिल्ली के तीन दवा सप्लायर भी पुलिस की पकड़ में आ चुके हैं जिनसे 20 लाख की नकली दवाई बरामद हुई है। बात अगर फर्जी डॉक्टरों की हो तो बीते कल पिथौरागढ़ जिला अस्पताल में ई एम ओ पद पर कार्य कर रहे डॉक्टर मोहम्मद नसीब पर भी मुकदमा दर्ज किया गया है जो फर्जीवाड़ा कर एमबीबीएस डॉक्टर ही नहीं बन गए बल्कि सरकारी नौकरी भी पा ली। अभी कुछ समय ही पहले मुजफ्फरनगर में फर्जी डॉक्टर की डिग्रियां देने वाले रैकेट का खुलासा हुआ था। इसकी शुरुआत भी दून में कुछ झोलाछाप डॉक्टरों की धरपकड़ से ही शुरू हुई थी। सवाल यह है कि जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों के लिए कड़े नियम कानून होने के बावजूद भी न तो फर्जी डिग्री धारक डॉक्टरो पर लगाम लग पा रही है और न नकली दवाओ का उद्योग बंद हो पा रहा है। स्वास्थ्य विभाग का ड्रग्स ब्रांच, पुलिस और शासन जन स्वास्थ्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को रोक नहीं पा रहा है। फर्जी डॉक्टर और नकली दवाओ के कारोबारी जनता की जान पर भारी पड़ रहे हैं जिसे रोकने के लिए और अधिक प्रभावी कदम उठाए जाने की जरूरत है।