ए आई वरदान या अभिशाप

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आपको याद होगा जब देश के स्व. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने देश में कंप्यूटर टेक्नोलॉजी की शुरुआत की थी तब समूचे विपक्ष द्वारा इसका यह कहकर विरोध किया गया था कि इससे देश में बेरोजगारी बढ़ेगी। जब कंप्यूटर से एक आदमी 10 लोगों का काम कर सकेगा तो फिर मैनपावर की जरूरत ही समाप्त हो जाएगी लेकिन स्व. राजीव गांधी की सोच थी कि देश को टेक्नोलॉजी के विकास में विश्व राष्ट्रों के साथ ही आगे बढ़ना चाहिए। उनकी इस सोच का जो फायदा देश को पहुंचा उसे आज कोई नकार नहीं सकता है भले ही केंद्र की मोदी सरकार अब डिजिटल इंडिया के नारे के साथ डिजिटल तकनीक के विकास का श्रेय लेने का प्रयास करती दिख रही हो लेकिन डिजिटल तकनीक की और उसके विकास की पहली पहल स्व. प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा ही की गई थी। भाजपा जो आज अपने प्रचार—प्रसार का सबसे सशक्त माध्यम इस तकनीक को बना चुकी है वह भी इस बात को स्वीकार करती है कि इस तकनीक ने ही उसे आज नंबर वन राजनीतिक पार्टी बनाया है। आईटी क्षेत्र में बीते तीन—चार दशक में जिस तरह का तकनीकी विकास हुआ है वह हैरान करने वाला है। हर छोटे से छोटे और बड़े से बड़े काम में इस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है उदाहरण के तौर पर आप ड्रोन के अविष्कार को ही ले सकते हैं जो आपकी सुरक्षा से लेकर तस्करी और दवाओं की दुर्गम क्षेत्रों में डिलीवरी से लेकर शत्रू देशों द्वारा अवैध हथियारों की खेप व नशीले पदार्थ भेजने तक में बखूबी इस्तेमाल हो रहा है। अब यह डिजिटल विकास आपको घर बैठे आपके सभी लेन देन और व्यापारिक गतिविधियों के काम भी कर रहा है। वही साइबर ठगी का भी सबसे अहम जरिया बन चुका है। कभी बचपन में जो पढ़ा था कि ट्टविज्ञान विकास भी और विनाश भी’ वह आज के तकनीकी विकास के युग में यथार्थ की धरती पर सच होता दिख रहा है। डिजिटल युग में अब सब कुछ संभव है और जो संभव नहीं है वह आने वाले कुछ सालों में संभव हो जाएगा। एआई यानी कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता इसकी नई खोज है। अब यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता जो आदमी से भी बेहतर तरीके से हर काम कर सकती है इसके दूरगामी परिणाम क्या होने वाले है? इसे लेकर भारत सहित तमाम अन्य देश इसे नियंत्रित रखने के लिए नियम कानून बनाने में जुटे हैं। क्योंकि अभी तक एआई का प्रयोग हम सिर्फ सकारात्मक उद्देश्यों के लिए ही देख रहे हैं किसी टीवी चैनल पर खड़ी एक सुंदर सी युवती को हमने अभी समाचार पढ़ते हुए देखकर बस यही सोचा है कि क्या तकनीक है? इससे तो हम किसी जीवंत एंकर की जरूरत ही नहीं रहेगी लेकिन यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता हमें और हमारे समाज को अपने कामों से क्षत—विक्षत भी कर सकती है और हमारी निजता पर डाका भी डाल सकती है यह सोच भी अब दूर की सोच नहीं है। एआई अभी आपके द्वारा दी गई कमांड पर या उसके अनुसार ही काम करती है यह मानव रहित वाहनों और यंत्रों में खराबी के दौरान कुछ नहीं कर सकती है इसलिए इसका इस्तेमाल सिर्फ सीमित उद्देश्य तक ही रखा जाना उचित होगा लेकिन इसके साथ यह भी सच है कि ऐसा संभव नहीं है। कोई भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता वास्तविक बुद्धिमत्ता की तरह कल्याणकारी नहीं हो सकती क्योंकि जीवंत बुद्धिमत्ता ही संवेदनशील हो सकती है।

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