मन की बात का कोई तोड़ नहीं

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`जो दिखता है वह बिकता है, बाजारीकरण में प्रचार और प्रसार की अहमियत को नकारा नहीं जा सकता है महत्वपूर्ण यह नहीं है कि आप क्या कर सकते हैं महत्वपूर्ण यह है कि आप अपना या अपने उत्पाद का कितना प्रचार और प्रसार कर सकते हैं। आपने 2014 के लोकसभा प्रचार के दौरान कुछ ऐसी बातें जरूर सुनी होगी जो शायद अब आपको याद भी नहीं होगी लेकिन वह बातें प्रचार के माध्यम से जन—जन तक पहुंची और भाजपा तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीत का बड़ा कारण बनी। मोदी जी आएंगे काला धन वापस लाएंगे देश के हर गरीब को अमीर बनाएंगे। अच्छे दिन आने वाले हैं हम मोदी जी को लाने वाले हैं। हर गरीब को ऐसा लग रहा था कि उसके बैंक खाते में बस कुछ दिनों में ही लाखों रुपए आ जाएंगे। आज 9 साल बाद देश में कहीं भी किसी के द्वारा भी उस काले धन का जिक्र तक नहीं किया जाता है जो स्विस बैंक के खातों में पड़ा सड़ रहा है। देश के लोगों के कितने अच्छे दिन आ सके यह बात आज एक आम और उस गरीब आदमी से जाकर पूछिए जिसके परिवार की आय 10 से 15 हजार प्रति माह तक सीमित है और जो अब एक रसोई गैस का सिलेंडर सवा ग्यारह सौ रूपये तथा पेट्रोल और डीजल 100 रूपये और 90 रूपये लीटर खरीद रहा है उसके कितने अच्छे दिन आ गए? लेकिन इस प्रचार ने भाजपा और मोदी जी को सत्ता का रास्ता जरूर दिखा दिया। आज कोई महंगाई पर बात करने को तैयार नहीं है याद कीजिए उस दौर को जब प्याज की कीमतों ने देश की सत्ता बदल दी थी। इन दिनों कर्नाटक में चुनाव प्रचार चल रहा है कल की बात है जब प्रधानमंत्री अपनी जनसभा को संबोधित कर रहे थे तो वह सांप की बात कर रहे थे कि विपक्ष के लोग मुझे सांप बता रहे हैं लेकिन मैं कहता हूं कि सांप तो शिव के गले की सुंदरता है मेरे लिए तो मेरे देश की जनता ही मेरा भगवान है। सवाल यह है कि क्या आज की राजनीति का सबसे बड़ा मुद्दा सांप और शिव बन गए हैं और देश में कोई समस्या शेष नहीं बची है। बीते कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना मन की बात का सौंवा एपिसोड पेश करने के लिए देश की जनता के सामने आए। जिसे प्रचारित व प्रसारित करने के लिए पूरी केंद्र सरकार और भाजपा शासित राज्य ही नहीं देश भर के भाजपा नेता व कार्यकर्ता पूरी तन्मयता से जुड़े दिखे। देश में लाखों बड़े स्क्रीन लगाए गए स्कूल जिनकी रविवार को छुटृी रहती है भी खोले गए और जितना भी संभव हो सकता था भीड़ जुटाई गई। एपिसोड मेंं यूनेस्को के धन्यवाद प्रस्ताव से लेकर न्यू जर्सी अमेरिका तक में विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रचार करते दिखे। अगर प्रचार—प्रसार के दृष्टिकोण से देखा जाए तो मन की बात ने एक नया विश्व रिकॉर्ड बना दिया है मन की बात देश के 100 करोड़ लोगों ने सुनी बताया जा रहा है। 23 करोड़ लोग नियमित मन की बात सुनने वाले हैं और 41 करोड ऐसे हैं जो कभी—कभी सुनते हैं। मन की बात प्रचार का एक ऐसा सशक्त जरिया बन चुका है जिसकी स्पर्धा में अब सौ—सौ कोस तक कोई नहीं ठहर सकता है यह बात अलग है कि मन की बात को जन—जन तक पहुंचाने में कितने हजार करोड़ खर्च किए गए लेकिन यह बड़ी कामयाबी है खास तौर पर भाजपा और प्रधानमंत्री के लिए क्योंकि अब उन्हें प्रचार में कोई परास्त नहीं कर सकता। विपक्ष हैरान परेशान है क्योंकि उसके पास मन की बात का कोई तोड़ नहीं है।

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