भर्तियों में धांधली के मुद्दे पर शासन प्रशासन द्वारा जिस तरह की मुस्तैदी बीते कुछ समय से देखी जा रही है वह सही मायने में उन दागों को धोने का प्रयास है जिनके कारण राजनीतिक दलों और उनके नेताओं का वह स्याह सच सामने आ गया है जिसने उनकी विश्वसनीयता को समाप्त कर दिया है। यूकेएसएसएससी की तमाम भर्तियों में इतने व्यापक स्तर पर हुई धांधलियों से प्रदेश के सभी लोग हैरान परेशान हैं। इतने बड़े खुलासे और दर्जनों लोगों की गिरफ्तारियोंं के बाद भी भर्तियों में धांधलियाें का सिलसिला न थमना आश्चर्यजनक है। 4 दिन पूर्व जिस पटवारी और लेखपाल भर्ती का पर्चा लीक होने का खुलासा एसटीएफ द्वारा किया गया वह इस सत्य को बताने के लिए काफी है कि उत्तराखंड राज्य में माफिया किस कदर अपना वर्चस्व बना चुके हैं और शासन प्रशासन उन पर शिकंजा कसने में कितना नाकाम और बेबस साबित हो रहा है। बीते कल शासन—प्रशासन स्तर पर 2015—16 में की गई दरोगा भर्ती में हुई धांधली पर दूसरी बड़ी कार्यवाही करते हुए 20 दरोगाओं को सस्पेंड कर दिया गया। हमने देखा है कि अब तक भर्तियों में हुए घोटालों को लेकर कुछ तुरत फूरत कार्यवाही की जा रही है। विधानसभा की बैकडोर भर्तियों पर विधानसभा अध्यक्ष ने तड़ाक—फड़ाक से 2 महीने के अंदर 2016 के बाद के भर्ती सभी दो ढाई सौ कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। अभी लेखपाल और पटवारी भर्ती में घपले का मामला सामने आया तो वहीं 4 दिन के अंदर ही आरोपियों की गिरफ्तारियोेंं से लेकर परीक्षा रद्द करने और नई परीक्षा तिथि घोषित करने में कोई देरी नहीं की गई। अब इन 20 दरोगाओं का सस्पेंड कर दिया जाना भी ऐसी ही घटना है। इस मामले की जांच अब तक अत्यंत धीमी गति से चल रही थी इसका खुलासा तो बहुत पहले हो चुका था। एक अन्य जो खास बात है वह है इन भर्तियों में हुई धांधलियों का ठीकरा कांग्रेस और भाजपा द्वारा एक दूसरे के सर फोड़ा जाना और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात कहकर अब की जा रही कार्यवाही का श्रेय लेना। इन दरोगाओं पर हुई कार्यवाही को भाजपा नेता अपनी जीरो टॉलरेंस नीति का परिणाम बता रहे हैं और कांग्रेस कार्यकाल को इन भर्तियों में हुई धांधििलयों के जिम्मेवार बता रहे हैं। भाजपा के नेताओं ने अपने उस नेता को भुला दिया है जिसका नाम हाकम सिंह है जो इस पूरे भर्ती घोटाले में सबसे बड़ा मास्टरमाइंड बनकर सामने आया है। पूर्व सीएम हरीश रावत भी इन भर्तियों के घोटालों को लेकर हर रोज अफसोस जताते दिख रहे हैं वह कभी यह कह कर कि वह एक बेहतर व्यवस्था नहीं बना सके इसके लिए वह शर्मिंदा है और प्रदेश के युवाओं से माफी मांगते हैं। उनका भी यह अपना दाग धोने का अलग अंदाज ही है। खैर नेताओं को अपनी अपनी खिचड़ी पकानी है लेकिन राज्य के इन नेताओं के कारण प्रदेश के युवाओं के साथ जो भद्दा मजाक हुआ है उनके कैरियर और जीवन के साथ जिस तरह का खिलवाड़ हुआ है उसकी भरपाई अब न कोई सरकार कर सकती है और न कोई नेता कर सकता है। राज्य में आगे भर्तियों में कोई धांधली न हो नेता अगर यह भी सुनिश्चित कर पाते हैं तो यह प्रदेश की भावी पीढ़ी पर उनका एक बड़ा एहसान होगा।