उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश में अवैध धार्मिक स्थलों का निर्माण व इनकी आड़ में संचालित होने वाले समाज विरोधी गतिविधियों पर रोक लगा पाना अत्यंत ही कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य है। यह समस्या उत्तराखंड जैसे भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्यों में और भी अधिक जटिल इसलिए हो जाती है क्योंकि इनका अधिकांश भू—भाग जंगल और पहाड़ वाला होता है जहां माननीय गतिविधियों का पता भी बहुत देर से लग पाता है। उत्तराखंड में अब धर्मांतरण की घटनाओं पर प्रतिबंध के प्रयास शुरू हुए तो इन अवैध धार्मिक स्थलों की तरफ भी शासन प्रशासन का ध्यान गया। जब तस्वीर साफ हुई तो पता चला कि राज्य में अवैध धार्मिक स्थलों की भरमार है। 40 फॉरेस्ट डिविजनों में 9, संरक्षित क्षेत्रों तथा राजाजी पार्क में 14 मजार और 10 मजार, कार्बेट पार्क में 19 मजार एक मंदिर, दून में 17 मजार 10 मंदिर अवैध रूप से बने हैं। प्रदेश भर में अब तक 167 ऐसे धार्मिक स्थल है जो अवैध रूप से बने हैं राजाजी पार्क में कुछ संरचनाएं 1983 से भी पहले की है। अभी 2 दिन पूर्व देहरादून के वन प्रभाग द्वारा कुछ मजारों को ध्वस्त करने की कार्यवाही भी की गई थी। लेकिन इस तरह की छोटी मोटी कारवाहियों से समस्या का समाधान संभव नहीं है। धार्मिक स्थलों पर सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक तमाम दिशानिर्देशों और राज्य सरकार की नियमावली के बावजूद भी इन अवैध धार्मिक स्थलों पर कार्यवाही इसलिए भी संभव नहीं हो पाती है क्योंकि एक धर्म विशेष के लोग इसे लेकर सांप्रदायिकता का माहौल बना देते हैं। जिससे सांप्रदायिक तनाव व टकराव की स्थितियां पैदा हो जाती हैं। जिसे न सामाजिक सुरक्षा व राष्ट्रीय एकता के लिए अच्छा कहा जा सकता है और न आम आदमी के लिए हितकारी कहा जा सकता है। बात सिर्फ धार्मिक स्थलों को हटाने या उनके अवैध निर्माण तक सीमित नहीं है। इनकी आड़ में चलने वाली समाज और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों तक जाती है। जिसमें तंत्र—मंत्र झाड़—फूंक और धर्मांतरण जैसी समस्या छुपी है। उत्तराखंड में यूं तो 2016 में सरकार द्वारा इन धार्मिक स्थलों के नीतियों का निर्धारण किया गया था तथा धार्मिक स्थलों को तीन भागों में वर्गीकृत कर इनके हटाने की कार्यवाही सुनिश्चित की गई थी लेकिन इस पर अभी तक अमल नहीं किया जा सका है। इस समस्या को इसलिए भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह आने वाले समय में और अधिक विकराल रूप लेगी। इसके अलावा एक अन्य समस्या पहले है इन धार्मिक स्थलों पर की जाने वाली राजनीति। राजनीतिक दल और नेता अपने वोट बैंक की राजनीति से बाज नहीं आते पौड़ी में अभी एक विधायक द्वारा एक अवैध मजार के लिए दो लाख रूपये विधायक निधि से दिए जाने का मामला खबरों में रहा था। लेकिन इस सबके बीच इस समस्या का न्याय संगत समाधान खोजा जाना जरूरी है।