देहरादून। सरकार और आबकारी विभाग बिना किसी बेहतर व्यवस्था के अधिक से अधिक कमाई करना चाहते हैं उन्हें न उपभोत्तQाओं की समस्याओं से कुछ लेना—देना है न वितरण व्यवस्था की खामियों से। राज्य में अधिकांश शराब की दुकानों पर ओवर रेटिंग की समस्या शराब के शौकीनों को झेलनी पड़ती है। कई बार तो दुकानों के सेल्समैन लोगों के साथ अभद्रता और मारपीट तक पर उतर आते हैं लेकिन लोगों के पास विभागीय अधिकारियों से संपर्क का भी कोई जरिया नहीं होता है जिससे वह अपनी शिकायत उन्हें कर सकें।
भले ही आबकारी नीति के तहत नियम व कानून तमाम तरह के बनाए गए हो लेकिन उनका अनुपालन अगर नहीं होता है तो फिर वह कानून किस काम के रह जाते हैं। यूं तो शराब की हर दुकान पर एक्साइज कमिश्नर से लेकर क्षेत्रीय एक्साइज इंस्पेक्टर तक के फोन नंबर लिखे होने चाहिए लेकिन अधिकांश दुकानों पर एक्साइज विभाग के अधिकारियों के नंबर तक नहीं लिखे हुए हैं। ऐसी स्थिति में किसी भी तरह की असुविधा या ओवर रेटिंग आदि की शिकायत वह करें तो किस से करें। यही नहीं अगर किसी दुकान पर फोन नंबर लिखे भी हैं तो उनमें से अधिकांश नंबर तो मिलते ही नहीं है और अगर इत्तेफाक से नंबर मिल भी जाए तो फोन उठाएं नहीं जाते हैं। एक्साइज विभाग के अधिकारियों द्वारा सिर्फ परिचित नंबरों से आने वाले फोन ही रिसीव किए जाते हैं अननोन नंबर से आने वाले फोन नहीं उठाए जाते।
बात सिर्फ शराब की ओवर रेटिंग की ही नहीं है। राज्य में शराब की दुकानों पर सेल्समैन का काम करने वालों को इसकी कोई ट्रेनिंग नहीं दी जाती की ग्राहक के साथ कैसा व्यवहार करना है। कई सेल्समैन अभद्र व्यवहार और मारपीट तक पर उतारू हो जाते हैं इस चोरी और सीनाजोरी का कोई इलाज किसी के पास नहीं है यहां तक की कई बार तो सेल्समैन यहां तक कह देते हैं कि जा जिससे भी शिकायत करनी है कर ले।
सरकार और आबकारी विभाग अगर अधिक से अधिक राजस्व शराब से जुटाने की इच्छा रखता है तो उसे उपभोक्ताओं की समस्याओं पर गौर करने की जरूरत है।
दारू की ओवर रेटिंग से शराबी परेशान
आपका जो विषय है बहुत ही शानदार है
एक गरीब व्यक्ति एक वक्त की रोटी के लिए तरस रहा है लेकिन धिक्कार है ऐसी पत्रकारिता को जो केवल हराम के पैसे खाने के लिए इस प्रकार की घटिया राजनीति कर रही है प्रदेश में प्रदेश की राजधानी देहरादून में और भी मुद्दे हैं गरीब जनता के लिए असहाय लोगों के लिए आपके पास कोई भी विषय नहीं है और आप शराबियों के लिए इतने मेहरबान हुए हो
और आखिर हो भी क्यों ना न्यूज़ चैनल का आका खुद एक बार का संचालन करता है और टीआरपी के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहा है धिक्कार है ऐसी पत्रकारिता पर
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माने जाने वाले मीडिया पर धिक्कार
मीडिया के नाम पर डिजिटल चैनल बनाकर उस पर अपने Bistro बार का संचालन कर रहे व्यापारी को हार्दिक शुभकामनाएं याद रखना वक्त हमेशा एक जैसा नहीं होता वक्त बदलेगा और तुमको तुम्हारी इस चाटुकारिता का जवाब जरूर मिलेगा जय श्री राम जय हिंद जय देव भूमि उत्तराखंड।
कोई नहीं रोक सकता दारू की ओवर रेटिंग
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