- वन विभाग व सरकारी जमीन पर कब्जे का खुलासा
- डेढ़ सौ पेड़ भी अवैध रूप से काटे जाने की खबर
- कई आईएएस व आईपीएस अधिकारियों ने किया निवेश
देहरादून। राज्य गठन के बाद जमीनों की खरीद फरोख्त में कितने बड़े—बड़े घोटाले हुए हैं इसका प्रमाण यूं तो इन दिनों रजिस्ट्री घोटाले ही देने के लिए काफी हैं लेकिन इसके इतर भी तमाम मामले आए दिन प्रकाश में आ रहे हैं। ताजा मामला विकास नगर क्षेत्र के पौंधा में सामने आया है। जहां एक प्राइवेट बिल्डर द्वारा 300 बीघा जमीन की अवैध खरीद फरोख्त कर ऑफिसर्स कॉलोनी खड़ी कर दी गई। खास बात यह है कि इस कॉलोनी में कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों द्वारा निवेश करने की जानकारी सामने आ रही है।
300 बीघा जमीन की अवैध खरीद फरोख्त व उसे आवासीय कॉलोनी बनाने के इस मामले का खुलासा एक सामाजिक कार्यकर्ता विकेश नेगी द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी से हो सका है। नेगी का दावा है कि जिस प्राइवेट बिल्डर द्वारा अवैध जमीनों पर कब्जा कर यह कॉलोनी बनाई गई है वह जमीन फॉरेस्ट विभाग और सरकार की है या फिर एसटी—एससी वर्ग के लोगों की जिसे बेचने खरीदने पर कानूनी तौर पर प्रतिबंध है। गोल्डन फॉरेस्ट की जिन जमीनों को सरकार में निहित किया गया उस जमीन को अवैध तरीके से खरीदा गया है।
नेगी का कहना है कि इस अवैध निर्माण के लिए वन विभाग और गोल्डन फॉरेस्ट की उस जमीन से जो सरकार की है, उसमें अवैध तरीके से डेढ़ सौ पेड़ भी काटे गए हैं। उनके द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इस जमीन को हड़पने का काम 1997 से शुरू हुआ था तथा 2021 में डीएफओ द्वारा डीएम को पत्र लिखकर इसकी आख्या देने को कहा गया था जो अभी तक नहीं दी गई है। बिना डीएम और एसडीएम की परमिशन के जमीन की खरीद और पेड़ों का कटान किए जाने को नियम विरुद्ध बताते हुए उन्होंने कहा है कि सूबे के कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने इसमें निवेश किया है जो हैरान करने वाली बात है। उनका कहना है कि अगर निचले स्तर पर इस मामले में कार्रवाई नहीं होती है तो वह हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटायेगें।
सूबे में जमीनों के फर्जीवाड़े अनंत हो चले हैं कल डीएम की जनसुनवाई के दौरान मोकमपुर में आईआईपी की जमीन पर प्लॉटिंग किए जाने से लेकर गल्जवाड़ी में पंचायत की जमीन व जोहड़ी में नगर निगम की जमीन पर कब्जा कर बेचे जाने जैसी कई सारी शिकायतें आई थी जिन पर कार्रवाई के निर्देश दिए जा चुके हैं। लेकिन सवाल यह है कि जमीनों के फर्जीवाड़े की इस कथा का कोई छोर नहीं मिल पा रहा है। राज्य की राजधानी बनने के बाद सबसे अधिक जमीनों की खरीद फरोख्त में अगर आगे रहा है तो वह दून ही है। जहां सबसे अधिक घोटाले घपले हुए हैं।