आपदा प्रबंधन सिर्फ हेलीकॉप्टर तक सीमितः हरीश

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पीड़ित व प्रभावितों तक कब पहुंचेगी सहायता?
केंद्र मदद की बात कर रहा मदद नहीं कर रहा है

देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज राज्य सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि राज्य सरकार आपदा प्रबंधन में पूरी तरह से फेल साबित हुई है। सरकार का आपदा प्रबंधन सिर्फ हेलीकॉप्टर तक सीमित है आपदा के छह दिन बाद भी प्रभावित क्षेत्रों के लोगों तक किसी भी तरह की मदद नहीं पहुंच पाई है।
पूर्व सीएम हरीश ने आज आपदा प्रबंधन पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि 5—6 दिनों से मुख्यमंत्री सिर्फ आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा हेलीकॉप्टर से करने में लगे हुए हैं उनका हेलीकॉप्टर जहां तक पहुंच सकता है बस वही तक वह पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि कहां क्या हुआ यह जानने से ज्यादा जरूरी यह है कि प्रभावित और पीड़ितों तक तत्काल राहत पहुंचे। आज इस मानसूनी आपदा को 5—6 दिन हो चुके हैं जिन ग्रामीण क्षेत्रों में आपदा से लोगों के घर उजड़ गए जिनके पास कुछ नहीं बचा है वह लोग सरकार की ओर देख रहे हैं लेकिन मदद के नाम पर उनके पास खाना व पानी से अधिक कुछ नहीं पहुंच पा रहा है।
उन्होंने कहा कि मैं गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने यह सच बोला है कि 36 घंटे पहले केंद्र सरकार ने आपदा की पूर्व चेतावनी राज्य सरकार को दे दी थी उन्होंने कहा कि 36 घंटे सरकार सोई रही। और जब आपदा ने लोगों से उनका सब कुछ छीन लिया तब सरकार की नींद टूटी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री आपदा राहत में हर संभव मदद की बात कह रहे हैं मदद कर नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम अगर आपदा प्रभावित क्षेत्रों में जाकर पीड़ितों का हाल—चाल भी पूछ रहे हैं तो वह कहते हैं कि हम आपदा पर राजनीति कर रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि खुद भाजपा के नेता और विधायक यह कह रहे हैं कि सरकार का आपदा प्रबंधन फेल हो गया है तथा पीड़ितों तक सहायता नहीं पहुंच रही है तो यह राजनीति नहीं है और हम यह कह रहे हैं कि सरकार आपदा प्रबंधन में फेल साबित हुई है तो उन्हें लगता है कि हम राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2013 की केदारनाथ आपदा में लापरवाही होने पर कांग्रेस ने अपने मुख्यमंत्री को बदल दिया था। उन्होंने कहा कि सरकार कुछ नहीं कर सकती थी तो आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में लंगर ही शुरू करा देती प्रभावितों को रोटी तो मिल जाती अगर सरकार ने बेघर हुए लोगों के लिए टैंट भी लगा दिए होते तो कम से कम उन्हें खुले आसमान के नीचे रात में तो नहीं गुजारनी पड़ती। उन्होंने कहा कि सरकार ने समय रहते राज्य में मुनादी भी करा दी होती तो इतने लोगों की जान नहीं जाती।

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