चुनाव निपटते ही महंगाई ने जिस तरह से कुलांचे भरना शुरू कर दिया है उसे लेकर आम आदमी हैरान परेशान है। 137 दिन की खामोशी के बाद पेट्रोल डीजल की कीमतें जब बढ़नी शुरू हुई तो वह अब रुकने का नाम नहीं ले रही है। हालात यह है कि बीते 12 दिनों में 10 बार पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ चुकी है और अब पेट्रोल 100 के पार व डीजल 90 के पार जा चुका है। रसोई गैस सिलेंडर की कीमत में एक साथ 50 रूपये की बढ़ोतरी हो चुकी है। वही सीएनजी के दामों में भी भारी वृद्धि हुई है। तमाम दुग्ध उत्पाद कंपनियों द्वारा दूध के दाम 2 रूपये लीटर बढ़ाये जा चुके हैं। उत्तराखंड में पेयजल और बिजली की कीमतों में वृद्धि की जा चुकी है खाघ तेल और घी पहले ही आसमान छू रहे हैं। अभी 4 दिन पूर्व विपक्षी दलों ने बढ़ती महंगाई के इस मुद्दे को संसद में भी उठाया था और 2 दिन पूर्व इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन किया गया था। लेकिन सरकार के कान पर जंू तक नहीं रेंग रही है। बीते एक पखवाड़े में जिस तेजी से खाघ पदार्थों और आम उपभोग की वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है उससे यह साफ हो गया है कि आने वाला समय और भी मुश्किलों भरा रहने वाला है। पेट्रोल—डीजल की कीमतों में वृद्धि का असर पूरे बाजार पर पड़ता है। परिवहन व माल भाड़ा वृद्धि का असर सभी उपभोक्ता वस्तुओं पर पड़ता है। खास बात यह है कि इस मूल्यवृद्धि का असर जिसका उस आबादी पर सबसे ज्यादा पड़ रहा है जो रोज कमाने खाने वाले हैं। गरीब आदमी के लिए इस महंगाई के दौर में पहले ही मुश्किलें इतनी ज्यादा थी कि उसको घर का चूल्हा जलाना मुश्किल हो रहा था लेकिन अब महंगाई का जो नया दौर शुरू हुआ है उससे उसकी मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ गई है। सवाल यह नहीं है कि पिछले समय में महंगाई का स्तर क्या था और आज क्या है? चिंतनीय विषय यह है कि अगर इसी तरह से आम उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में इजाफा होता रहता है तो आने वाले दिनों में आम आदमी के जीवन का क्या होगा? दरअसल सत्ता में बैठे लोगों द्वारा अपने जनसमर्थन को ही अपनी सफलता का पैमाना मान लिया जाता है और जन समस्याओं को दरकिनार कर दिया जाता है। सत्ता में बैठे लोगों की सोच ऐसी बन चुकी है कि अगर जनता किसी समस्या से आहत होती तो उन्हें वोट क्यों देती? जबकि जनता राष्ट्र—धर्म और जाति—सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर समर्थन कर रही होती है। सरकार द्वारा दिए जाने वाला मुफ्त का राशन जनता को क्या भूखा मरने से बचा सकता है? यह बात जनता को अब समझ जरूर आ रही होगी अगर सरकार ने तत्काल प्रभाव से इस महंगाई पर अंकुश नहीं लगाया तो गरीबी की रेखा से नीचे आने वालों की संख्या में भारी इजाफा होना तय है और गरीबों को पेट भर भोजन मिलना भी मुश्किल हो जाएगा।