नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की सांसदी छिनने के बाद कांग्रेस समेत विपक्षी दल इसके लिए जहां रह-रह कर सत्तारूढ़ दल बीजेपी को कोस रहे हैं, वहीं जन प्रतिनिधित्व कानून के जिस प्रावधान से राहुल गांधी की संसद सदस्यता गई है, उसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। जेडीयू राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि 14 राजनीतिक दलों ने एक साथ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। मैं भी उसमें याचिकाकर्ता हूं, हमने यही कहा है कि जिस प्रकार केंद्र सरकार ईडी, सीबीआई, आईटी का उपयोग अपने विरोधियों के खिलाफ कर रही है। उस पर ध्यान दिया जाए। 5 अप्रैल को इस पर सुनवाई होगी।
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन(ललन) सिंह ने पटना में कहा कि राहुल गांधी के संबंध में 24 घंटे के अंदर जिस प्रकार से फैसला लिया गया है वह दर्शाता है कि केंद्र सरकार हताशा में है। लोकतंत्र की प्रक्रिया होती है, कार्ट का फैसला चुनाव आयोग में जाता है। चुनाव आयोग के माध्यम से वे स्पीकर के पास जाता है। ये सारी प्रक्रिया 10 घंटे में करना दिखाता है कि इसमें केंद्र सरकार की भूमिका है। आपको बता दें कि गुजरात में सूरत की जिला अदालत ने राहुल गांधी को 2019 के एक केस में दो साल की सजा सुनाई है। वहीं, कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा के आधार पर संसद ने जनप्रतिधि कानून के तहत राहुल गांधी की सदस्यता खत्म कर दी है। इसके साथ ही उन पर 6 साल तक कोई भी चुनाव न लड़ने का प्रतिबंध लग गया है। इस हिसाब से देखें तो राहुल गांधी अगले साल यानी 2024 में लोकसभा का चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। आपको बता दें कि राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से सांसद थे। अब उनकी सदस्यता जाने के बाद वायनाड लोकसभा सीट खाली हो गई है, जहां जल्द ही उपचुनाव कराए जा सकते हैं। हालांकि उप चुनाव में भी राहुल गांधी भाग नहीं ले पाएंगे।