रक्तरंजित लोकतंत्र

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बीते कल उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में केंद्रीय सत्ताधारी दल भाजपा के राज्य मंत्री अजय मिश्रा और उनके सहयोगियों ने सत्ता की हनक में चार आंदोलनकारी किसानों को अपनी गाड़ियों से कुचल कर मार डाला यह लोकतंत्र की हत्या नहीं तो और क्या है? भले ही अपनी सफाई में केंद्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्रा और उनका आरोपी बेटा कुछ भी कहें लेकिन दस महीने से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसानों ने अब तक किसी की हत्या नहीं की है चार किसानों की हत्या के बाद किसानों ने अगर मंत्री के चार समर्थकों को मार डाला और उनकी गाड़ियां फूंक डाली तो यह प्रतिक्रिया तो स्वाभाविक है। जिस किसान आंदोलन को दबाने और कुचलने के लिए सरकार और सत्ता में बैठे लोग अब तक उन्हें आतंकी व गुंडे बदमाश बताते रहे हैं और उन्हें झूठे मुकदमों में फंसा रहे हैं वह भी किसी से छिपा नहीं है। इस घटना पर हरियाणा के सीएम मनोहर खटृर का यह बयान की भाजपाइयों किसानों के खिलाफ लाठियां उठाओ और जैसे को तैसा ही जवाब दो किसी भी नेता के लिए शोभनीय नहीं है तथा भाजपा नेताओं के लठ्ठतंत्र और तानाशाही का ही प्रतीक है। उत्तर प्रदेश का पूरा शासन—प्रशासन आज विपक्षी नेताओं की आवाज दबाने और उन्हें लखीमपुर जाने देने से रोकने में जुटा है। प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव, सतीश मिश्रा को पुलिस ने हिरासत में रखा हुआ है चंद्रशेखर, जयंत चौधरी को भी पुलिस ने भिड़ंत के बाद रोक दिया है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व पंजाब के उपमुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टरों को भी लखनऊ में उतरने की इजाजत नहीं दी जा रही है क्या विपक्ष की आवाज और किसानों की हत्या और उनकी आवाज को दबाना लोकतंत्र है? लखीमपुर खीरी की कल की घटना ने किसान आंदोलन की आग में जो घी डालने का काम किया उसकी आग से भाजपा का दामन नहीं झुलसेगा अगर सत्ता के मद में मस्त भाजपा के नेता ऐसा माने बैठे हैं तो यह उनकी बड़ी भूल है। इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन कि जो आग भड़कने को तैयार है उसे भाजपा अब आसानी से नहीं रोक पाएगी। खास बात यह है कि भाजपा के आरोपी मंत्री और उनके बेटे तथा समर्थकों द्वारा उल्टे किसानों के खिलाफ हिंसा और हत्या के मुकदमे दर्ज कराए जा रहे हैं। तथा उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और पुलिस प्रशासन दोषियों को ठीक वैसे ही बचाने में जुटा है जैसे हमने हाथरस में दलित बेटी की हत्या और रेप तथा कानपुर के व्यापारी की गोरखपुर होटल में मौत के मामले में देखा था। भाजपा के शासन काल में भाजपा नेताओं की जो हनक और प्रशासन का दुरुपयोग वर्तमान में देखा जा रहा है वह आगामी दिनों में भाजपा को बहुत भारी पड़ सकता है। विपक्ष को खत्म करने और किसानों की आवाज दबाने के लिए सत्ता द्वारा जो किया जा रहा है वह हथकंडे ठीक नहीं है। लखीमपुर में जिन आठ लोगों की मौत हुई है उनमें चार किसान व एक पत्रकार भी है। आंदोलन की यह आग कहां जाकर रुकेगी और किस—किस का घर जलाएगी आने वाला समय ही बताएगा। सत्ता के मद में भाजपा नेता जो गड्ढे खोद रहे हैं वह उनके लिए भी घातक होंगे यह उन्हें नहीं भूलना चाहिए।

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