हरिद्वार/ऋषिकेश। आज बुद्ध पूर्णिमा के पावन पर्व पर लाखों लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई और दान पुण्य कर मानव कल्याण की कामना की।
वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई इसलिए इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। मानव का मूल स्वभाव सत्य और अहिंसा का रहा है। महात्मा बुद्ध के द्वारा संसार को और समस्त मानव जगत को जो सत्य अहिंसा के मार्ग पर चलने का संदेश दिया गया था वह आज भी पूरे विश्व में उतना ही प्रासंगिक है जितना पहले था। महात्मा बुद्ध ने जीवन सार तत्वों की खोज में लंबे समय तक तपस्या की थी और उन्हें इस तपस्या के प्रतिफल में सत्य व अहिंसा का यह अद्भुत मंत्र प्राप्त हुआ था। महात्मा गांधी जैसे महापुरुष भी भगवान बुद्ध के इस सत्य अहिंसा के सिद्धांत का अनुसरण कर महात्मा गांधी बन सके। सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर ही कोई व्यक्ति अपने जीवन के उत्कृष्ट को प्राप्त हो सकता है। भगवान बुद्ध का यह उपदेश मानवता के कल्याण का मंत्र है तथा दया धर्म जैसी मानवीय गुणों को प्रतिपादित करता है।
भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व में भगवान बुद्ध के अनुयायियों की बड़ी तादाद है। जिनकी उनके इस सत्य और अहिंसा के सिद्धांत में पूर्ण आस्था है। आज बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर गंगा अथवा किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर लोग प्रार्थना करते हैं कि भगवान बुद्ध उन्हें सत्य अहिंसा के मार्ग पर चलने का प्रेरणा प्रदान करें। आज बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर लाखों लोगों ने गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। इस अवसर पर हरिद्वार व ऋषिकेश के गंगा घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ गंगा स्नान के लिए उमड़ी। इस दौरान कई स्थानों पर जाम के हालात भी देखे गए।