कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता भाजपा में शामिल

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नई दिल्ली। भाजपा मुख्यालय में आज कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने पहुंच कर भाजपा का दामन थाम लिया है। उन्होने आज ही कांग्रेस पार्टी से अपना इस्तीफा दिया था।
गौरव वल्लभ ने पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को संबोधित करते हुए इस्तीफा दिया है, जिसे उन्होंने ट्वीट भी किया है। गौरव वल्लभ ने कहा, कि कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है,उसमें मैं खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा। मैं न तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और न ही सुबह—शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता। इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। गौरव वल्लभ ने विस्तार से लिखे अपने इस्तीफे में कहा कि भावुक हूं, मन व्यथित है। काफी कुछ कहना चाहता हूं, लिखना चाहता हूं और आपको बताना चाहता हूं। लेकिन मेरे संस्कार ऐसा कुछ भी कहने से मना करते हैं, जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचे। फिर भी मैं आज अपनी बातों को आपके समक्ष रख रहा हूं। ऐसा इसलिए कि सच को छिपाना भी अपराध है। मैं अपराध का भागीदार नहीं बन सकता। गौरव वल्लभ इसके आगे लिखते हैं, मैं वित्त का प्रोफेसर हूं। पार्टी ने मुझे राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया तो मैंने मजबूती के साथ बात रखी। लेकिन पिछले कुछ दिनों से पार्टी के स्टैंड से असहज महसूस कर रहा हूं। जब मैंने कांग्रेस जॉइन की थी तो लगा था कि यह देश की सबसे पुरानी पार्टी है। यहां पर युवा, बौद्धिक लोगों के आइडिया की कद्र होती है। बीते कुछ सालों में मुझे अनुभव हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नए आइडिया वाले युवाओं को अपने साथ एडजस्ट नहीं कर पा रहा है। पार्टी का ग्राउंड लेवल से कनेक्शन पूरी तरह टूट चुका है। जो नए भारत की आकांक्षा को बिलकुल भी नहीं समझ पा रही है। इसके चलते पार्टी न तो सत्ता में आ पा रही है और न ही विपक्ष की भूमिका मजबूती से निभा रही है। इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है। गौरव वल्लभ ने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से कांग्रेस के दूरी बनाने को भी एक वजह बताया। उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से क्षुब्ध हूं। मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं। पार्टी के इस स्टैंड ने मुझे असहज किया। पार्टी व गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन के विरोध में बोलते हैं और पार्टी का उस पर चुप रहना। एक तरह से मौन स्वीकृति देने जैसा है। यही नहीं उन्होंने रहा कि पार्टी गलत दिशा में आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि एक तरफ हम जाति आधारित जनगणना की बात करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ पूरे हिंदू समाज के विरोधी नजर आ रहे हैं। यह कार्यश्ौली जनता के बीच पार्टी की एक धर्म विशेष की हिमायती होने की छवि बनाती है।

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