नन्दा धाम में कलश यात्रा के साथ हुआ शिवपुराण शुरू

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देहरादून। आज नन्दाधाम, नथनपुर में शिवपुराण कथा से पूर्व नन्दादेवी समिति के द्वारा भव्य शोभायात्रा जिसमें ढोल दमांऊ की थाप पर शिव भत्तQ झूम पड़े पीत वस्त्र धारण शिर पर कलश रखे आदर्श कालोनी शिवमन्दिर से मुख्य मार्गों से होते हुए मां नन्दा के मन्दिर तक पहुंची जहां विद्वान बेदपाठीयों के द्वारा जलाभिषेक किया गया।
देवभूमि के प्रसिद्ध कथावाचक ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिवप्रसाद ममगांई ने कहा कि ईश्वर ने मनुष्य को अपार सम्पदाओं से भरा—पूरा जीवन दिया है पर वह पोटली बाँधकर नहीं, एक—एक खण्ड के रूप में गिन—गिन कर। नया खण्ड देने से पहले पुराने का ब्यौरा पूछता है कि उसका क्या हुआ? जो उत्साह भरा ब्यौरा बताते हैं, वे नये मूल्यवान खण्ड पाते हैं। ईश्वर तब बहुत निराश होता है, जब देखता है कि उसके पिछले अनुदान धूल में फेंक दिये गये।
आचार्य ममगांई नें कहा परमात्मा के अनन्त वैभव से विश्व में कमी किसी बात की नहीं। भगवान् आपके हैं और उसके राजकुमार के नाते सृष्टि की हर वस्तु पर आपका समग्र अधिकार है। उसमें से जब जिस चीज की जितनी आवश्यकता हो, उतनी लें और आवश्यकता निबटते ही अगली बात सोचें। संसार में सुखी और सम्पन्न रहने का यही तरीका है। बादल अपने, नदी अपनी, पहाड़ अपने और वन—खाघान्न अपने। इनमें से जब जिसके साथ रहना हो रहें। जिसका जितना उपयोग करना हो करें। कोई रोक—टोक नहीं है। नदी को रोक कर यदि अपना बनाना चाहेंगे और किसी दूसरे को पास न आने देंगे,उपयोग न करने देंगे,तो समस्या उत्पन्न होगी। एक जगह जमा किया हुआ पानी अमर्यादित होकर बाढ़ के रूप में उफनने लगेगा और आपके निजी खेत— खलिहानों को ही डुबो देगा।
बहती हुई हवा कितनी ही सुरभित क्यों न हो,उसे आप अपने ही पेट में भरना चाहेंगे,तो पेट फूलेगा, फटेगा,औचित्य इसी में है कि जितनी जगह फेफड़ों में हो उतनी ही श्वास लें और बाकी हवा दूसरों के लिये छोड़ दें। मिल—बांटकर खाने की यह नीति ही सुखकर है। ईश्वर ने जैसे हमें अमूल्य सम्पदाओं से नवाजा है वैसी ही उदारता हम दूसरों के साथ बरतनी चाहिए ।
इस अवसर पर अध्यक्ष दीपा मुंडेपी पण्डित जटा शंकर तिवारी, उपाध्यक्ष प्रेम तनेजा, सचिव महावीर रावत, रायपुर क्षेत्र के पार्षद नरेश रावत, सर्वेश्वरी देवी, प्रभा जुयाल, प्रसन्ना लखेड़ा, सुधीर मुंडेपी, सुमन सकलानी, तनुजा जुयाल, विकास जुयाल, मनोहर लाल जुयाल, डॉक्टर तृप्ति जुयाल सेमवाल सुरेंद्र मुंडेपी आशीष सेमवाल, जे पी सेमवाल आचार्य संदीप बहुगुणा, आचार्य प्रदीप नौटियाल, सुरेश जोशी आदि भत्तQ गण भारी संख्या में उपस्थित थे।

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