भले ही देश नफरती भाषणों को लेकर राजनीतिक संग्राम में अपने चरम पर हो या फिर देश की सर्वाेच्च अदालत द्वारा खुद इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए यह कहा गया हो कि या तो केंद्र सरकार और राज्य सरकारे इसे रोकने के ठोस प्रयास करें अन्यथा फिर हमें ही कुछ करना पड़ेगा। इतना सब कुछ होने के बाद भी अगर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी अगर सार्वजनिक मंचों से इस तरह के बयान देते हैं कि देश के मुसलमानों का उत्पीड़न हो रहा है जिसे वह किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे अगर देश के 22 करोड़ मुसलमान में से एक—दो करोड़ मर भी जाएंगे तो कोई फर्क नहीं पड़ता है या उन्हें कांग्रेस के जय गंगा मैया या जय नर्मदा मां बोलने पर शर्म आती है तो वह वास्तव में न तो कांग्रेसी है न मुसलमान है और न सच्चे हिंदुस्तानी है और ऐसे लोगों के लिए राजनीति तथा देश में कोई जगह नहीं हो सकती है जो उसी थाली में खाए और उसी थाली में छेद करें। एक तरफ कांग्रेस अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को पाने के लिए सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे की मुहिम छेड़े हुए हैं और राहुल गांधी केरल से कश्मीर तक सद्भाव पदयात्रा कर रहे हैं तथा देशवासियों को यह संदेश देने में जुटे हुए हैं कि उनकी लड़ाई नफरत और घृणा फैलाने वालों के खिलाफ है वह कहते हैं कि हम नफरत के इस दौर में मोहब्बत की दुकान खोलेंगे वहीं उनकी ही पार्टी के नेता उनकी इस मुहिम को पलीता लगाने का काम कर रहे हैं। कांग्रेस को चाहिए कि जो नेता किसी जाति और धर्म विशेष के मसीहा बनने के लिए इस तरह की अनर्गल बयान बाजी कर रहे हैं उन्हें तत्काल पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाएं यह अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब मणिपुर से लेकर हरियाणा तक सांप्रदायिकता व हिंसा की आग भड़की हुई है तथा इसे बुझाने के प्रयास किया जा रहे हैं हिंदू मुस्लिम एकता का संदेश देने के लिए शांति मार्च निकाले जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ अजीज कुरैशी जैसे लोग भड़काऊ बयान देकर आग में घी डालने जैसा काम कर रहे हैं। अजीज का यह सब करने के पीछे क्या मकसद है यह तो वही जान सकते हैं लेकिन इस तरह के बयानों से वह अपना खुद का और कांग्रेस का ही नहीं अपितु उन मुसलमानों का भी अहित कर रहे हैं जिनके मसीहा बनने की कोशिश वह कर रहे हैं। भाजपा को उन्होंने वोटो के ध्रुवीकरण का एक मुद्दा और थमा दिया है। जहां तक बात राजनीतिक व चुनावी हानि लाभ की है उसका भले ही इतना महत्व न हो लेकिन ऐसे बयान से देश और देश के सांप्रदायिक सद्भाव के ढांचे को बड़ा नुकसान होता है। कुरैशी जैसे लोगों को यह भी सोचने की जरूरत है कि इस देश में सच्चे और अच्छे तथा योग्य मुसलमानों को हमेशा ही सम्मान दिया गया है वह खुद अगर कांग्रेस में बड़े—बड़े पदों पर रहे हैं और उन्हें राज्यपाल बनाया गया है तो वह कांग्रेस ने ही बनाया था। डॉ. अब्दुल कलाम इस देश की मिसाल है जिन्हें इस देश ने राष्ट्रपति जैसे सर्वाेच्च पद पर सम्मान से बैठाया। कुरेशी जैसे लोगों को यह बात कभी भी नहीं भूलनी चाहिए कि जो सम्मान और अधिकार इस देश में मुसलमानों को मिलता रहा है या मिल रहा है वह किसी भी अन्य देश में नहीं मिल सकता है। आज अगर मुसलमान विकास की दौड़ में पिछड़े हुए हैं तो उसकी सबसे बड़ी वजह रही है उनका देश की मूल विचारधारा में शामिल न होना। कुरैशी और ओवैसी जैसे लोगों ने ही मुसलमानों को कभी आगे नहीं बढ़ने दिया है वह हमेशा नफरत और घृणा फैलाने वाले बयान देकर मुसलमानों को भड़काने का काम करते रहे हैं।