आफत की बरसात

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उत्तर भारत के 7 राज्यों में इन दिनों आसमान से जो आफत की बरसात हो रही है उसे लेकर मौसम विज्ञानी भी हैरान परेशान हैं। बीते 5 दिनों में औसत से 20 एमएम अधिक बारिश हर रोज दर्ज की गई है। मुंबई जो देश की आर्थिक राजधानी है सोमवार को एक ही दिन में 2,547 एमएम बारिश हुई जो पूरे साल में होने वाली बारिश का 31.17 प्रतिशत है। उत्तर भारत में शनिवार से लेकर अब तक हुई रिकॉर्ड बारिश ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल में जिस तरह की तबाही मचाई है उससे जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। सड़के या तो तालाब में तब्दील हो गई है या फिर भूस्खलन और भू धसाव के कारण चलने लायक नहीं बची है वहीं ट्रेनों से लेकर हवाई उड़ानों तक पर इसका गंभीर असर पड़ा है। हिमाचल की 14 सो और उत्तराखंड की 200 सड़कों पर आवाजाही ठप हो चुकी है। नदी—नालों और खालो पर बने सैकड़ों पुल ध्वस्त हो चुके हैं। गांवो और देहातो पर बाढ़ का संकट मंडरा रहा है तो वहीं शहरी क्षेत्रों में जलभराव की समस्या से लोग परेशान हैं। मौसम विज्ञानी डॉ रघु का कहना है कि 2023 अनोखा साल चल रहा है चरम मौसमी घटनाओं ने सभी को चौंकाया है। जलवायु परिवर्तन विभाग उपाध्यक्ष महेश का कहना है कि धरती के गर्म होने के कारण पैटर्न में आए बदलाव का नतीजा है यह अतिवृष्टि। बीते कल मौसम विभाग द्वारा 3 राज्यों के लिए 48 घंटों का रेड अलर्ट और 7 राज्यों के लिए जो ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है उसके मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी से लेकर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों तक ने लोगों से सतर्क रहने को कहा है। हिमाचल और उत्तराखंड जैसे राज्यों के लिए यह आपदा इसलिए भी अधिक बड़ी है क्योंकि इन पर्वतीय राज्यों की भौगोलिक परिस्थिति अन्य राज्यों से अलग है। यही कारण है कि अब लोगों से यह अपील की गई है कि वह घरों से बाहर न निकले। उत्तराखंड में चल रही कांवड़ यात्रा और चार धाम यात्रा के मद्देनजर यह खतरा और भी अधिक गंभीर हो जाता है क्योंकि लाखों की संख्या में श्रद्धालु सड़कों पर हैं। गंगोत्री—यमुनोत्री से लेकर ऋषिकेश हरिद्वार तक सड़कों पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा हुआ है। ऐसे में कहां कब कितनी बड़ी होनी अनहोनी हो जाए इसे लेकर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। बीते 3 दिनों से अमरनाथ यात्रा को रोका हुआ है लेकिन उत्तराखंड में सरकारी स्कूल तो बंद किए गए हैं लेकिन यात्रा जारी है। आसमान से बरसने वाली यह आफत अभी कब तक जारी रहेगी इसकी कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है लेकिन आज और कल तक होने वाली बारिश कहर बरपा सकती है इसलिए सतर्क रहें। खासतौर से खतरा नदियों और नालों के किनारे बसे लोगों पर अधिक है क्योंकि इनके जलस्तर में कभी भी कितना भी उतार चढ़ाव आ सकता है। जितना भी संभव नदी नालों से दूरी बनाकर रखें। इस अतिवृष्टि के दौर में बांधों का जलस्तर बढ़ने से भी खतरे बने हुए हैं। अगर जल्द मौसम में सुधार नहीं आया तो हालात कभी भी बेकाबू हो सकते हैं। इसलिए सुरक्षित और सतर्क रहें।

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