सीएम की तेज दौड़

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सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हालांकि अपने बेबाक और ताबड़तोड़ फैसलों के कारण बड़ी तेजी से सूबे और भाजपा की राजनीति के बड़े चेहरे के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं लेकिन इसके साथ ही उन्होंने लव जिहाद और लैंड जिहाद को लेकर सूबे में जिस तरह का माहौल तैयार किया है या हो रहा है, वह अब उनकी परेशानी का सबब भी बनता जा रहा है। बीते दिनों जिस तरह बेरोजगार युवाओं पर हुए लाठीचार्ज के मुद्दे पर विपक्षी नेताओं ने उनकी घेराबंदी की थी ठीक उसी तरह अब उनके लव जिहाद और लैंड जिहादं के मुद्दे पर विपक्ष हमला बोलता दिख रहा है कांग्रेसी नेता और अन्य तमाम लोग यह पूछ रहे हैं कि मुख्यमंत्री धामी ने राज्य में जिन मुद्दों को लेकर सांप्रदायिक टकराव व तनाव के हालात पैदा कर दिए हैं जरा उसके बारे में वह यह तो बताएं कि यह लव जिहाद और लैंड जिहाद होता क्या है? यही नहीं अनायास ही सूबे में लव जिहाद की यह लहर आखिर आ कैसे गई। कई लोगों द्वारा तो साफ—साफ यह कहा जा रहा है कि यह वास्तव में कोई मुद्दे हैं ही नहीं यह सबकुछ जानबूझकर क्रिएट किये गए मुद्दे हैं जिनके माध्यम से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की पिच तैयार की जा रही है विपक्ष का तो यह भी आरोप है कि इन कृतिम मुद्दों से अब भाजपा का कुछ भला नहीं हो सकता है। उधर हरिद्वार के कुछ संतो द्वारा राज्य में लव जिहाद और लैंड जिहाद को लेकर यह कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तो ठीक काम कर रहे हैं लेकिन उनके कामों को लेकर जो सांप्रदायिकता का रंग दिया जा रहा है वह कुछ शरारती तत्वों का काम है जो सीएम धामी के काम और नाम को पचा नहीं पा रहे हैं और उन्हें बदनाम करने के लिए इस तरह का सांप्रदायिकता का माहौल तैयार किया जा रहा है, वह उन्हें बदनाम करने की साजिश है। खैर इस काम को कौन कर रहा है और क्यों कर रहा है? यह अलग विषय है लेकिन उनकी पार्टी में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो उन्हें बतौर सीएम पचा नहीं पा रहे हैं। सीएम धामी जितनी तेज गति से दौड़ रहे हैं वह उनके लिए आने वाले समय में परेशानी का सबब बन सकता है। उनके कार्यकाल में अब तक एक से बड़ी एक समस्याएं आ चुकी हैं। जिस पेपर लीक मामले में भाजपा को अपनी साख बचाने की चुनौती पैदा हो गई थी उस मामले में अगर उनके द्वारा जांच बैठाने से लेकर सख्त नकल विरोधी कानून बनाने की पहल न की गई होती तथा सचिवालय व विधानसभा में बैक डोर भर्तियों पर कार्यवाही न की गई होती तो इस मामले को मैनेज करना मुश्किल हो जाता लेकिन अब मामला प्रदेश के अमन और शांति से जुड़ा हुआ है, लव जिहाद और लैंड जेहाद के मामलों को लेकर राज्य में जिस तरह का माहौल तैयार हो रहा है उसके कारण अगर कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो इसे लेकर विपक्ष ही नहीं उनकी ही पार्टी के लोग उनकी मुखालफत में पीछे नहीं रहेंगे। भाजपा का इतिहास सूबे में इस बात का साक्षी है कि उन्होंने ले. जनरल(से.नि.) बीसी खंडूरी तक को नहीं छोड़ा था। सीएम धामी को अपने काम के साथ साथ ऐसी ताकतों से भी सतर्क रहने की जरूरत है जो इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि कब वह कोई पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत जैसी बड़ी गलती करें।

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